Capt Amarinder Singh आखिर खेल ही दिया पंजाब की राजनीति में अपना आखिरी दांव। 79 साल की उम्र में नई पार्टी बनाने जा रहे कैप्टन अमरिंद सिंह अब सीधे-सीधे पंजाब कांग्रेस के प्रभारी नवजोत सिंह सिद्धू से दो-दो हाथ करने के तैयार हैं।
साल 2002 से 2007 और फिर मार्च 2017 से 18 सितंबर 2021 तक दो बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी माने जाते हैं। पंजाब कांग्रेस के इतिहास को देंखे तो पूर्व मुख्यमंत्री सरदार बेअंत सिंह के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ही थे जिन्होंने पंजाब की राजनीति में कांग्रेस की पैठ बनाये रखी।
सिद्धू की अदावत ने किया पंजाब कांग्रेस में दो फाड़
हाल के दिनों में भारतीय जनता पार्टी से कांग्रेस में आये पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने राजनीति के पिच पर कैप्टन के खिलाफ ऐसी फिल्डिंग बिछाई की कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें आउट देकर पैवेलियन का रास्ता दिखा दिया।
साल 1965 में सरहद पर पाकिस्तान से दो-दो हाथ करने वाले कैप्टन ने 79 साल की उम्र में एक नई पारी का आगाज कर दी है। अब देखना दिलचस्प होगा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस फैसले से सूबे में कांग्रेस के समीकरण पर कितना प्रभावित पड़ता है।
कौन हैं कैप्टन अमरिंदर सिंह
पटियाला राजघराने से ताल्लूक रखने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भारतीय सैन्य अकादमी से स्नातक होकर साल 1963 से 1966 तक सेना में रहे और सिख रेजिमेंट में तैनात रहे कैप्टन ने भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दीं। अमरिंदर सिंह के पिता का नाम महाराजा यादवेंद्र सिंह था और उनकी मां पटियाला की महारानी मोहिंदर कौर थीं। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने देहरादून के द दून स्कूल से शिक्षा ली है।
कांग्रेस छोड़ने की जानकारी कैप्टन अमरिंदर सिंह के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने ट्वीट करके दी। रवीन ने ट्वीट में लिखा है, ‘पंजाब के भविष्य की लड़ाई जारी है. मैं जल्द ही अपनी राजनीतिक पार्टी का ऐलान करूंगा जो पंजाब, उसके लोगों और किसानों के हितों के लिए काम करेगी जो एक साल से भी ज्यादा समय से अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं।’
दरअसल कांग्रेस में कैप्टन के खिलाफ फसाद की असली शुरूआत तब हुई जब नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया। सिद्धू ने कैप्टन के खिलाफ एक तरह से अघोषित जंग का एलान कर दिया था। कैप्टन अमरिंदर सिंह जो पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के दोस्त हैं, सिद्धू की राजनीति भांपने में चूंक गये और यहीं पर सिद्धू ने उनके साथ बड़ा वाला खेल कर दिया। दिल्ली में प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के सामने कैप्टन के खिलाफ खूब बैटिंग की गई, जिसका नतीजा रहा कि राहुल गांधी ने कैप्टन को पंजाब की गद्दी से उतार दिया।
सीएम पद से हटते ही दे दिया था नई पार्टी के गठन का संकेत
कांग्रेस के इस अपमान को अमरिंदर सिंह सहन नहीं कर पाये। अमरिंदर सिंह सीएम पद छोडने के बाद इस बात का संकेत दे दिया था कि वो 79 साल की उम्र में राजनीति से सन्यास नहीं लेने वाले हैं। उन्होंने कहा था कि हमेशा एक विकल्प होता है, और समय आने पर मैं उस विकल्प का इस्तेमाल करूंगा। साथ ही उन्होंने कहा था कि वह “दोस्तों” के साथ चर्चा के बाद अपने भविष्य के कदम पर फैसला करेंगे।
कांग्रेस को हराने के लिए भाजपा के साथ कर सकते हैं गोलबंदी
पंजाब की राजनीति पर गौर करें तो इस समय बीजेपी और अकाली दल में छत्तीस का आंकड़ा चल रहा है। कृषि कानून के खिलाफ अकाली दल एनडीए से बाहर हो गई और सुखबीर बादल की पत्नी हरसिमरत कौर ने मोदी मंत्रीमंडल से इस्तीफा दे दिया। वहीं पंजाब बीजेपी में इस समय कोई बड़ा चेहरा भी नहीं है।
अकाली दल से अलग होने के बाद पंजाब में बीजेपी सबसे कमजोर स्थिति में आ गई है। ऐसे में कैप्टन अमरिंदर सिंह की नई पार्टी से भारतीय जनता पार्टी को भी बहुत उम्मीदें हैं। लेकिन कैप्टन और बीजेपी के बीच कृषि कानूनों को लेकर पेंच फंसा हुआ है।
वैसे कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इशारे-इशारे में यह कह भी दिया है कि उन्हें बीजेपी के साथ जाने में कोई गुरेज नहीं है बशर्ते बीजेपी किसान आंदोलन और कृषि कानूनों का कोई शांतिपूर्ण हल खोज ले।
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