Vitamin D की कमी से नौनिहालों की हड्डियां हो रहीं कमजोर, ‘Rickets’ का शिकार हो रहे बच्‍चे

Rickets: बच्‍चों में रिकेट्स या सूखा रोग बेहद नुकसानदायक होता है। इस रोग में बच्‍चों की टांगे कमजोर हो जाती हैं।हड्डियां नरम होने के कारण जल्‍द ही टूटने लगतीं हैं।

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Rickets in Children , Deficiency of Vitamin D

Rickets: बदलते परिवेश और वातावरण का असर हमारे शरीर पर पड़ता है। तेजी से बदलती जीवनशैली का असर नन्‍हे बच्‍चों और उनके सर्वांगीण विकास पर पड़ रहा है।स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार देश में 5 वर्ष से कम आयुवर्ग के करीब 60 प्रतिशत बच्‍चों के अंदर विटामिन-डी की कमी पाई गई है। यही वजह है कि उनका विकास अवरूद्ध होने के साथ ही उनकी हड्डियां भी कमजोर हो रहीं हैं। घनी, मलिन बस्तियों और
फ्लैटों में रहने वाले बच्‍चों को न ही पूरी तरह धूप मिल पा रही है और न ही पर्याप्‍त पोषण।इसके कारण भी उनकी हड्डियां नरम और कमजोर हो रहीं हैं। बच्‍चे रिकेट्स रोग का शिकार हो रहे हैं। बेहद जरूरी हो गया है कि बच्‍चों के पोषण पर ध्‍यान दें और उनके अंदर विटामिन-डी की कमी न होने दें।

Deficiency of Vitamin-D in hindi news.
Rickets in Children.

Rickets: सूखा रोग होता है नुकसानदायक

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Rickets in Children.

Rickets: बच्‍चों में रिकेट्स या सूखा रोग बेहद नुकसानदायक होता है। इस रोग में बच्‍चों की टांगे कमजोर हो जाती हैं।हड्डियां नरम होने के कारण जल्‍द ही टूटने लगतीं हैं। टांगों का एलाइनमेंट सीधे की बजाय मुड़ने यानी कर्व होने लगतीं हैं। बच्‍चों की रीढ़ की हडडी में असमान्‍य टेढ़ापन आने लगता है। विटामिन-डी की कमी से बच्‍चों में कलाई, घुटने और टखने के पास हड्डियां ज्‍यादा मोटी दिखने लगतीं हैं। कुछ समय के बाद बच्‍चों का चलना और खड़ा होना तक मुश्किल हो जाता है। ऐसे में उनकी हड्डियां ज्‍यादा जल्‍दी टूटने की संभावना बन जाती है।

Rickets: जानिए कैसे ठीक कर सकते हैं बच्‍चों में Vitamin D की कमी

धूप में बैठना- धूप यानी सूरज की रोशनी विटामिन डी का सबसे अच्छा और प्राकृतिक स्रोत मानी जाती है। आप धूप से अपने शरीर में विटामिन डी की कमी को पूरा कर सकते हैं। धूप से विटामिन डी पाने के लिए आप रोजाना सुबह कुछ समय तक बच्‍चों को धूप में बैठा सकते हैं।

इन फलों का करवाएं सेवन- विटामिन-डी की पूर्ति के लिए फलों में संतरा, मौसमी, अंगूर बच्‍चों को खिलाएं। सब्जियों में अंकुरित मूंग, चना, हरी और लाल मिर्च, पालक, सरसों का साग, आलू, टमाटर और नींबू में विटामिन-डी मुख्‍य रूप से पाया जाता है।

गाय का दूध- विटामिन डी के स्रोत में दूध का नाम सबसे पहले आता है। इसलिए, शाकाहारी लोग दूध के सेवन से विटामिन डी की कमी पूरा कर सकते हैं। दूध कई पोषक तत्वों का भंडार माना जाता है। कारण यह है कि इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, मैंगनीज व जिंक के साथ विटामिन डी और के भी मौजूद होता है।

अंडा- विटामिन डी फूड्स के तौर पर आहार में अंडा भी शामिल किया जा सकता है।अंडे में कैल्शियम और प्रोटीन के साथ ही विटामिन डी प्रचुर मात्रा पाया जाता है।

मछली में विटामिन डी- कई ऐसी मछलियां होती हैं, जिन्‍हें विटामिन- डी के स्रोत के तौर पर जाना जाता है। जो लोग मछली खाना पसंद करते हैं, वो विटामिन डी फूड्स के तौर पर आहार में मछली भी शामिल कर सकते हैं। विटामिन डी वाले आहार में मछली को आहार का हिस्सा बनाया जा सकता है।

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