Environment News: सावन का पावन महीना शुरू हो चुका है।सावन बिन बदरा अधूरा है। दरअसल सावन के नाम आते ही हरियाली और झमाझम बारिश आंखों के आगे आ जाती है। लेकिन ये साल सावन के लिहाज से बेहद कमजोर रहा है। मानसून ने दस्तक भले ही दे दी हो, लेकिन हरियाली, ठंडक और आंखों को मिलने वाली तसल्ली अभी तक नहीं मिल सकी है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान बारिश में कमी दर्ज की गई है। इसका सीधा असर पर्यावरण और पौधों पर पड़ा है। भूजल का स्तर भी लगातार कम होता जा रहा है।
पर्यावरणविदों के अनुसार कमजोर होता मानसून और बारिश के दिन घटने की मुख्य वजह जलवायु परिवर्तन है।जलवायु परिवर्तन सीधे मानसूनी वर्षा पर असर डाल रहा है। यही वजह है कि कहीं झमाझम बारिश, कहीं बाढ़ जैसे हालात तो कहीं सूखा पड़ा है। मौसम विभाग के अनुसार देश के अलग-अलग राज्यों में औसत और कम बारिश के दिन घटे हैं। बारिश की बूंदों की गति और आकार में भी फर्क देखने को मिला है। इसी का प्रभाव है कि बादल फटने और शहरी क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात बन रहे हैं।
Environment News: ग्लोबल वार्मिंग से कमजोर हुई बारिश
पिछले दिनों ही बारिश को लेकर आईएमडी की सटीक भविष्यवाणी नहीं होना चर्चा का विषय था। दरअसल लगातार बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग से बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव का क्षेत्र नहीं बन रहा है। बारिश कमजोर पड़ रही है। जलवायु विशेषज्ञों का मानना है कि बारिश की अनियमितता की एकमात्र वजह ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन है। मानसून के दौरान पहले तकरीबन 8 दिन तक होने वाली बारिश झपसी कहलाती थी, इसमें भारी कमी आई है।
Environment News: कमजोर होते मानसून के लिए जिम्मेदार कारक
अलनीनो: मध्य विषुवतीय भूमध्यसागर की सतह जब मानक से अधिक गर्म हो जाती है, तो वायुमंडलीय परिस्थितियां बदलतीं हैं। इस दौरान समुद्री घटनाओं को अलनीनो कहा जाता है। इसके असर से भारतीय भूभाग में सूखे की आशंका बढ़ती है।
ला नीना: मध्य विषुवतीय भूमध्यसागर की सतह जब मानक से अधिक ठंडी हो जाती है, तो वायुमंडलीय परिस्थितियां बदलतीं हैं। इस दौरान समुद्री घटनाओं को ला नीना कहा जाता है।मानसून की सामान्य से अधिक बारिश होती है।
मानसून ट्रफ: भारतीय भूभाग के वायुमंडलीय क्षेत्र में श्रीगंगानगर से पश्चिमी और पूर्वी यूपी बिहार और झारखंड होते हुए मानूसन में एक विशेष रेखा ही मानसून ट्रफ कहलाती है। इसी के इर्द-गिर्द बारिश भी होती है। जिस दिशा में ये रहती है वहां बारिश की गतिविधियां तेज होती हैं। जुलाई-अगस्त ये नेपाल की तराई क्ष्ोत्र की तरफ डायवर्ट हो जाती है। इसी कारण बिहार में बारिश तेज होने लगती है।
निम्न दाब का क्षेत्र:ये उस क्षेत्र को कहा जाता है। जहां वायुमंडल का दबाव आसपास के क्षेत्र से कम हो जाता है। जब आसपास के क्षेत्र में दबाव अधिक होता है तो वहां हवा निम्न दबाव के क्षेत्र में प्रवेश करती है। इसके कारण बादल आते हैं और वर्षा होती है।
Environment News: भारत में मानसून होने के कारक
1 समुद्री सतह और पृथ्वी की सतह के तापमान में ज्यादा अंतर रहने पर मानसून का करंट बनता है। ये अंतर जितना अधिक बनता है।उतनी ही तेज बारिश होती है।
2 अप्रैल से मई के मध्य में राजस्थान में हीट लो की स्थिति बनती है। ऐसा माना जाता है कि ये जितनी अच्छी होगी, बारिश भी उतनी अच्छी पड़ेगी।
3 मानसून की एक शाखा अरब सागर और एक शाखा बंगाल की खाड़ी की तरफ से आती है।यही वजह है कि महाराष्ट्र और उसके आसपास के इलाकों में खूब बारिश होती है। पूरे भारत में झमाझम बारिश के लिए इन दोनों शाखाओं का मजबूत होना बेहद जरूरी है।
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