Environment: चाचा चौधरी का Mascot भी नहीं ला सका लोगों में चेतना, पूरी तरह सफल नहीं हो सका ‘नमामि गंगे प्रोजेक्‍ट’

Environment: सरकार के जल मंत्रालय ने स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय अभियान के तहत पिछले वर्ष डायमंड टून्स के साथ हाथ मिलाया था। इसके तहत कॉमिक्स, ई-कॉमिक्स और कार्टून कैरेक्टर वाले एनिमेडेट वीडियो तैयार कर वितरित करने की योजना थी।इस परियोजना के लिए सरकार की ओर से करीब 2.26 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया था।

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Environment: गंगा नदी में लगातार बढ़ते प्रदूषण के स्तर को कम करने और नदी को पुनर्जीवित करने के लक्ष्य के साथ शुरू की गई नमामि गंगे योजना में कुछ नई चीजों को जोड़ा गया था। इसका मसकद लोगों के बीच गंगा को प्रदूषण मुक्‍त करने के साथ ही जागरूक करना भी था।

इसी क्रम में एक मशहूर देसी कार्टून कैरेक्‍टर चाचा चौधी का नाम भी इसी प्रोजेक्‍ट से जोड़ा गया था।जल संसाधन मंत्रालय की ओर से नमामि गंगे कार्यक्रमों का शुभंकर चाचा चौधरी को बनाने की घोषणा पिछले वर्ष की गई थी। भारतीय कॉमिक बुक का ये चरित्र अपने तेज दिमाग के लिए जाना जाता है। इसे शुभंकर बनाने का मकसद बच्‍चों के बीच भी गंगा के प्रति जागरूकता को बढ़ाना था।लेकिन योजना परवान नहीं चढ़ सकी।

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Namami Gange project

Environment: निर्मल गंगा के लिए केंद्र सरकार और डायमंड टून्स ने मिलाया था हाथ

सरकार के जल मंत्रालय ने स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय अभियान के तहत पिछले वर्ष डायमंड टून्स के साथ हाथ मिलाया था। इसके तहत कॉमिक्स, ई-कॉमिक्स और कार्टून कैरेक्टर वाले एनिमेडेट वीडियो तैयार कर वितरित करने की योजना थी।इस परियोजना के लिए सरकार की ओर से करीब 2.26 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया था। इसका उद्देश्य बच्चों में गंगा और अन्य नदियों के प्रति व्यवहार में बदलाव लाने के साथ उन्‍हें जागरूक करना भी था।

Environment: कब शुरू हुआ नमामि गंगे प्रोजेक्‍ट ?

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Namami Gange project

बता दें कि भारत सरकार ने गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के प्रदूषण को कम करने, उनके संरक्षण के लिए करीब 20,000 करोड़ रुपये के कुल बजटीय परिव्यय के साथ जून, 2014 में नमामि गंगे कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इस कार्यक्रम के तहत गंगा नदी की स्वच्छता के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यों की शुरुआत की गई। इसमें घरेलू सीवेज, औद्योगिक अपशिष्ट, ठोस अपशिष्ट सहित प्रदूषण कम करने, नदी तट प्रबंधन, अविरल धारा, ग्रामीण स्वच्छता, जैव विविधता संरक्षण आदि जैसी गतिविधियां शामिल हैं।

Environment: परवान नहीं चढ़ सकी योजना

देश के मशहूर कार्टून कैरेक्‍टर को योजना से जोड़ने का लाभ नहीं हो सका। ई बुक्‍स, पंपलेटस, बुक्‍स, कलर बुक्‍स आदि सामग्री का पूरी तरह से वितरण ही नहीं हो सका। आलम ये है कि प्रोजेक्‍ट की घोषणा के दौरान इस खबर ने तो बहुत सुखिर्यां बटोरीं, लेकिन इसे धरातल पर लाने की योजना पूरी तरह सफल नहीं हो सकी। मसलन बच्‍चों एवं स्‍कूलों में इससे जुड़ी पठनीय सामग्री का पूरा वितरण ही नहीं हुआ। शिक्षकों और अभिभावकों को इस प्रोजेक्‍ट से जुड़े असाइनमेंट तक नहीं पहुंचे। ऐसे में भला कैसे बच्‍चों के बीच गंगा के महत्‍व और इसे संरक्षित करने का काम पूरा कर पाएंगे।

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