
Manipur Election 2022: मणिपुर में भाजपा की शानदार जीत के पीछे कई ऐसे कारण हैं, जिनसे पता चलता है, कि यहां की जनता ने कई पहलुओं को ध्यान में देकर वोटिंग की है। मसलन विकास, पर्यटन, सुरक्षा, शांति और गो टू हिल। 60 विधानसभा के लिए किए गए मतदान में करीब 78 फीसदी वोटरों ने मत डाले थे। वहीं चुनाव के बाद हुए एग्जिट पोल में काफी हद तक आकलन करना सरल हो गया था, कि इन चुनावों में भाजपा अपना परचम लहराने की तैयारी में है। आइये जानते हैं, आखिर किन पांच वजहों के आधार पर भाजपा यहां अपनी जीत दर्ज कर सकी ?

Manipur Election 2022: पर्यटन और स्वास्थ्य के क्षेत्र में किया काम
विकास: म्यांमार और बांग्लादेश से घिरा मणिपुर हमारे देश के लिए एक मणि के समान है। क्योंकि विगम वर्षों में ये विकास से कोसों दूर रहा है। प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर और सुंदर प्रकृति वाले प्रांत में पर्यटन और व्यापार की काफी संभावनाएं हैं। यह पूर्वी एवं दक्षिण पूर्व के एशियाई देशों को जोड़ने का मणिबंध, कलाई हो सकता है। विकास के मुद्दे पर भाजपा सरकार के पास बताने को काफी कुछ है। राष्ट्रीय स्तर के शैक्षणिक संस्थानो से लेकर स्वास्थ्य संबंधित कई बड़े केंद्र हालिया दिनों में खुले हैं।
हवाई अड्डे और रेलवे कनेक्टिविटी बेहतर
इंफाल हवाई अड्डे को विकसित कर अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के अनुरूप बनाया गया है। अब ये गुवाहाटी के बाद पूर्वोत्तर का सबसे बड़ा विमान पत्तन बन चुका है। बात अगर सड़क और रेलवे के आधारभूत ढांचे विकास की करें तो, इस मोर्चे पर भी मणिपुर आगे है। मणिपुर में रेल लाने का श्रेय भी भाजपा सरकार को है। जीरीबाम तक चालू ट्रेन अब इम्फाल पहुंचने को है। वहीं इम्फाल से म्यांमार सीमा के मोरहे तक इस रेलवे को ले जाने का निर्णय भी लिया जा चुका है।

16 राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माणाधीन
केंद्र सरकार की ओर से यहां 16 राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माणाधीन हैं। जबकि भारत म्यांमार और थाईलैंड को जोड़ने वाली ट्रांस रोड योजना भी अब अंतिम चरण में है। इन सब के बीच यहां के नागा पहाड़ी जिले तामेंगलोंग तक पहली मालगाड़ी भी दौड़ने लगी है। यह नागा स्वाभिमान की प्रतीक रानी गाइदिन्ल्यू का गृह जिला भी है। जहां केंद्र सरकार के पहल से जनजातीय नायकों के स्मृति में एक संग्रहालय भी निर्माणाधीन है।

मैतेई बनाम नागा एवं कूकी जनजाति संघर्ष रोकने पर काम
भाजपा सरकार की ओर से यहां कई वर्षों से चले आ रहे नागा और कूकी जनजाति संघर्ष रोकने पर काम किया है। केंद्र सरकार की पहल पर यहां शांति और सुरक्षा के लिए कई फैसले लिए गए हैं। यहां तक कि, केंद्र सरकार का प्रतिनिधिमंडल नागा और कूकी जनजाति के प्रतिनिधियों से कई बार मिल चुका है। पूर्वोत्तर राज्य के चुनावों में केंद्र सरकार से संबद्ध होना दल विशेष को फायदा पहुंचाता रहा है। एनपीएफ मणिपुर के साथ ही पड़ोसी राज्य नागालैंड मे भाजपा के साथ सरकार चला रही है। जबकि मेघालय के संगमा परिवार की एनपीपी पार्टी मणिपुर मे भाजपा की सहयोगी तो मेघालय मे भाजपा के सहयोग से सरकार चला रही है।

गो टू हिल और गो टू विलेज योजना पर हुआ काम
गो टू हिल और गो टू विलेज के माध्यम से कल्याणकारी योजनाओं को सुदूर पहाड़ों में ले जाया गया है। मणिपुर चुनाव को अगर दलों के हवाले से समझें तो तस्वीर भाजपा बनाम कांग्रेस की बनती दिखती है। जहां क्षेत्रीय एवं अन्य दल सीटों की सेंधमारी मे लगे हैं। सीटों और मत के आधार पर विचार करे तो पहाड़ों में 31सीटें है जबकि घाटी में 29 सीटें आती हैं।
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