Kairana: 10 फरवरी को देश के सबसे बड़ी आबादी वाले सूबे उत्तर प्रदेश में पहले चरण के लिए मतदान किया जाएगा। खास बात ये है कि इस चरण में कैराना (Kairana) विधानसभा में भी मतदाता उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे। समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल ने इस विधानसभा सीट के लिए गठबंधन किया हुआ है। दोनों दलों ने अपने संयुक्त उम्मीदवार को रूप में नाहिद हसन को चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं बीजेपी ने मृगांका सिंह को इस सीट से टिकट दिया है। बसपा ने इस सीट से राजेंद्र सिंह उपाध्याय और कांग्रेस ने अखलाक को टिकट दिया है।
Kairana: 2017 में नाहिद हसन और 2012 में हुकुम सिंह ने जीती थी सीट
गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में Kairana सीट से समाजवादी पार्टी के नेता नाहिद हसन ने जीत दर्ज की थी। उन्हें उस समय 98,830 वोट मिले थे। वहीं मृगांका सिंह दूसरे नंबर पर रही थीं और उन्हें 77,668 वोट मिले थे। वहीं साल 2012 के विधानसभा चुनाव में हुकुम सिंह ने बतौर बीजेपी प्रत्याशी 80,293 वोट के साथ जीत हासिल की थी। उस समय उन्हें BSP के अनवर हसन से टक्कर मिली थी। अनवर हसन को 60,750 वोट मिले थे।
कैराना सीट की अहमियत और इतिहास
कैराना (Kairana) विधानसभा सीट पर कुल 3,21,003 मतदाता हैं। कैराना विधानसभा सीट इसलिए भी अहम है क्योंकि यहां के हिंदू और मुस्लिम वोटर हार-जीत तय करते हैं। यहां से होने वाले ध्रुवीकरण का असर पूरे सूबे पर पड़ता है। हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी की लहर के बाद भी सपा ने कैराना सीट जीत ली थी। यह सीट 1957 में अस्तित्व में आई थी। आजादी के बाद 1951 में हुए विधानसभा चुनाव में कैराना दक्षिण और उत्तर के नाम से दो सीट थी। यह सीट सबसे खास इसलिए है, क्योंकि 2017 के चुनाव में कैराना पलायन का मुद्दा भाजपा ने जोरशोर से उठाया था और इसका फायदा भी मिला था।
2022 में किनके बीच है मुकाबला?
इस बार के चुनाव में पिछली बार की तरह ही नाहिद हसन और मृगांका सिंह के बीच मुकाबला है। पिछली बार नाहिद हसन ने मृगांका सिंह को हरा दिया था लेकिन देखना होगा कि 2022 में मतदाता किसका साथ देते हैं। नाहिद हसन और मृगांका सिंह के बीच राजनीतिक प्रतिस्पर्धा खानदानी रही है। नाहिद के पिता चौधरी मुनव्वर हसन और मृगांका के पिता हुकुम सिंह ने इस सीट पर हुए चुनाव में कई बार एक-दूसरे को टक्कर दी थी।
कौन हैं मृगांका सिंह ?
मृगांका सिंह पूर्व सांसद दिवंगत बाबू हुकुम सिंह की बेटी हैं। 2017 में भाजपा ने कैराना विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया था, पर जीत नहीं सकीं। 2018 में हुकुम सिंह के निधन के बाद कैराना लोकसभा सीट रिक्त हुई थी। तब मृगांका सिंह भाजपा से उपचुनाव लड़ी थीं लेकिन सपा-रालोद गठबंधन उम्मीदवार तबस्सुम हसन से हार गईं थीं। मालूम हो कि कैराना से हुकुम सिंह सात बार विधायक रहे थे।
कौन हैं नाहिद हसन?
वैसे तो नाहिद हसन यूपी की कैराना विधानसभा सीट के विधायक हैं लेकिन उनके पास एक लंबी राजनीतिक विरासत रही है। उनके परिवार के लोग स्थानीय चुनाव से लेकर देश की संसद तक का चुनाव जीत चुके हैं। नाहिद हसन के दादा चौधरी अख्तर हसन कैराना लोकसभा सीट से 1984 में कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने थे। वो नगरपालिका के चेयरमैन भी रहे थे। चौधरी अख्तर की विरासत को नाहिद के पिता चौधरी मुनव्वर हसन ने आगे बढ़ाया।
चौधरी मुनव्वर हसन ने 1991 और 1993 के विधानसभा चुनाव में Kairana सीट पर जीत दर्ज की। उन्होंने दोनों चुनाव में जनता दल के टिकट पर लड़ते हुए हुकुम सिंह को हराया। हुकुम सिंह तब कांग्रेस में हुआ करते थे। लगातार कैराना विधानसभा से दो बार विधायक निर्वाचित होने के बाद मुनव्वर हसन सपा में आ गए थे और 1995 में कैराना लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीता।
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