Chhattisgarh Result 2023: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के नतीजे लगभग साफ हो चुके हैं। रुझानों में बीजेपी की बल्ले-बल्ले हो रही है, वहीं कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ रहा है। 2024 के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले 4 राज्यों में से 3 में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ रहा है। साफ तौर पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए यह जीत बड़े मायने रखती है।
देखा जाए तो ये फैसला हिंदी बेल्ट का मूड भी दिखाता है। छत्तीसगढ़ में बीजेपी की जीत के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस को अपनी हार पर जरूर सोच-विचार करने की जरूरत है। आइये नजर डालें उन वजहों पर जहां भूपेश बघेल बीजेपी के आगे फेल साबित हो गए।
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Chhattisgarh Result 2023: क्यों डूब गई कांग्रेस की नैया?
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में इस बार भ्रष्टाचार का मुद्दा खूब उछला। वहीं, महादेव ऐप को लेकर भी बीजेपी सीएम बघेल समेत कांग्रेस को जमकर घेरती हुई नजर आई। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य में ताबड़तोड़ चुनाव प्रचार किया। भूपेश सरकार को सत्ता विरोधी लहर का भी सामना करना पड़ा है। हालांकि कहा जा रहा था कि उनके काम से राज्य की जनता खुश है और परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आएंगे, लेकिन नतीजों ने उसे निराश कर दिया है।
कांग्रेस के लिए अति उत्साह बना घातक!
प्रदेश में बीजेपी ने इस बार सभी विधायकों को टिकट दिया था। ये भी उसकी जीत का एक बड़ा कारण माना जा सकता है। पार्टी ने रमन सिंह सरकार में मंत्री रहे 17 नेताओं को भी टिकट दिया था जो 2018 में चुनाव हार गए थे। कांग्रेस कई क्षेत्रों में मतदाताओं का मन भांपने में विफल रही और अति उत्साह में ठीक रणनीति नहीं बना पाई। कई ऐसे नेता भी जो ज्यादा सक्रियता दिखाते तो शायद पार्टी को फायदा हुआ होता। नेताओं को आंतरिक खींचतान ने भी पार्टी को नुकसान पहुंचाया है।
नुकसानदायक हुआ एक के भरोसे रहना
बीजेपी सत्ता में नहीं थी, लेकिन उसने अपने संगठन को मजबूत करने और जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं के साथ काफी काम किया। वहीं कांग्रेस का संगठन लचर रहा है। राज्य में सरकार होने के बावजूद वह मतदाताओं से सीधा संपर्क नहीं बना सकी। यह नहीं कहा जा सकता कि कांग्रेस में नेतृत्व की कमी थी क्योंकि भूपेश बघेल किसी से भी कम नहीं हैं, लेकिन ये जरूर साफ हो जाता है कि किसी एक के भरोसे रहना नुकसान का सौदा है।
जनता की नाराजगी भांपने में असफल
कांग्रेस ने प्रचार तो खूब किया लेकिन फिर भी संवादहीनता जैसी हालत देखने को मिली। कई नेताओं ने चुनाव प्रचार के दौरान भाषा में संयम नहीं बरता और बीजेपी नेताओं को लेकर विवादित बयान दिया। जरूरत है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी हार के कारणों पर विचार करे, ताकि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में उसकी ऐसी हालत न हो।
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