कानून व्यवस्था के मुद्दे पर विपक्षी विधायकों ने सदन में आज विधानसभा सत्र के पहले ही दिन जबरदस्त हंगामा किया। राज्यपाल का अभिभाषण शुरू होते ही समाजवादी पार्टी के विधायकों ने उनकी ओर कागज के गोले फेंकने शुरु कर दिये। सुबह 11 बजे जैसे ही राज्यपाल अभिभाषण पढ़ने पहुंचे कानून व्यवस्था के मुद्दे पर विपक्ष ने लामबंद होकर योगी सरकार का विरोध करना शुरू कर दिया। इस दौरान कुछ सदस्यों ने राज्यपाल के ऊपर कागज के टुकड़े फेंके। देखते ही देखते हंगामा कर रहे विपक्ष के विधायक वेल में घुसे वहीं कुछ अपनी सीटों पर हाथो में पोस्टर-बैनर लेकर हंगामा करते दिखाई दिए। इस दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ सदन में विधायकों का हंगामा देखते रहे। राज्यपाल राम नाइक ने हंगामे और नारेबाजी के बीच अपना संबोधन पूरा किया। जिस कानून व्यवस्था को चुनावी मुद्दा बना कर बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की सत्ता को हासिल किया उसी व्यवस्था को मुद्दा बनाकर विपक्ष ने सदन में हंगामा कर दिया। विपक्ष का कहना था कि सरकार उनकी बात पर ध्यान नहीं दे रही है। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि क्या अपनी मांगों को लेकर विपक्ष का इतना उग्र होना जाना की उन्हे सदन के नियमों व उसकी मर्यादा का खयाल ही न रहे कितना सही है?

सोमवार 15 मई को एपीएन न्यूज के खास कार्यक्रम मुद्दा में यूपी में लोकतंत्र के गिरते स्तर पर चर्चा हुई। इस अहम मुद्दे पर चर्चा के लिए विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे। इन लोगों में गोविंद पंत राजू( सलाहकार संपादक एपीएन न्यूज), अनिला सिंह (प्रवक्ता बीजेपी), रविदास मेहरोत्रा ( नेता सपा), सुरेन्द्र राजपूत (प्रवक्ता यूपी कांग्रेस) फैजान खान (प्रवक्ता बसपा) शामिल थे।

गोविंद पंत राजू ने कहा कि इसको बाहुबलियों का अखाड़ा तो सीधे-सीधे नही कहा जा सकता। ये जरुर है कि हमारे लोकतांत्रिक व्यवस्था में बाहुबलियों का सदन के अंदर आना एक अनिवार्य हिस्सा हो गया है और हम लगातार देखते हैं जब सदन की कार्यवाई होती है तो उस दौरान पुलिस के सुरक्षा घेरे में जेल से कई ऐसे गणमान्य विधायक लाये जाते हैं जो सदन की कार्यवाई में हिस्सा लेने आते हैं। लेकिन आज जिस तरह का दृश्य देखने को मिला है लोकतांत्रिक परंपराओं के प्रति हमारे जनप्रतिनिधियों की आस्था में कमी उनकी जानकारी में कमी तथा बहुत आसान तरीके से चर्चा में आने की प्रवृत्ति का उदाहरण आज देखने को मिला है।

अनिला सिंह ने कहा कि समाजवादी पार्टी ने आज जिस तरह का व्यवहार किया है विधानसभा के पहले दिन उससे मुझे आश्चर्य बिल्कुल नही हो रहा है। परन्तु सीमा इतनी लांघ दी जायेगी कि गवर्नर के ऊपर कागज के गोले फेकें जायेंगे इसकी आशा बिल्कुल भी नही थी।

रविदास मेहरोत्रा ने कहा कि चुनाव के दौरान जो वादे किये गये थे कि हम प्रदेश में कानून का राज कायम करेंगे। आज सहारनपुर और आगरा तथा मेरठ में क्या हो रहा है आप देख सकते हैं। आप देख सकते हैं कि पूरे प्रदेश के अंदर बलात्कार की घटनाएं बढ़ी हैं और लगातार अपराध भी बढ़ रहा हैं। कागज के गोले से किसी को चोट नही लग सकता है। कागज के गोले किसी को छुए भी नही हैं। यह विरोध स्वरुप अपनाई गई है।

सुरेन्द्र राजपूत ने कहा कि संसद या विधानसभा जनता से जुड़े मुद्दे पर बहस करने के लिए है इसमें कही कोई दो राय नही है कि लोकतंत्र का मंदिर है विधानसभा इसमें बहस होनी चाहिए और उन नियमों और कानूनों के अंतर्गत होने चाहिए जिन नियमों और कानूनी की मांग प्रतिपक्ष कर रहा है क्यों कि सत्ता का काम अपने कर्मों से जवाब देना होता है और विपक्ष का काम अपनी भाषा से लोकतंत्र की मर्यादा को कायम रखना।

फैजान खान ने कहा कि ये एक तरह से लोकतंत्र की हत्या हो रही है। विधानसभा लोकतंत्र का मंदिर है वहां पर अपने मुद्दों को अनुशासित स्वरुप में रखना चाहिए ना कि इस तरह के हथकंडे अपनाने चाहिए। विपक्ष भी सत्ता में माना जाता है वो बहस का मुद्दा उठा सकता है ना कि उपद्रव कर सकता है।

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