मोदी सरकार के तीन साल के कामकाज पर सभी मंत्री अपने मंत्रालय का रिपोर्ट कार्ड पेश कर देश की जनता को अपनी उपलब्धियों और प्रमुख कार्यों से अवगत करा रहे हैं। इसी कड़ी में केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गृह मंत्रालय के आंकड़ों का ब्योरा दिया। उन्होंने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाक की ओर से होने वाली घुसपैठ में बीते छह महीने में 45 प्रतिशत की कमी आई है। उन्होंने कहा कि बड़ी मुस्लिम जनसंख्या होने के बाद भी आईएसआईएस भारत में पैर नहीं जमा पाया। सवाल उठता है कि उनके दिये बयान जमीन पर कितने टिकते हैं। उनके इन बयानों में कितनी सच्चाई है।

शनिवार 3 जून को एपीएन न्यूज के खास कार्यक्रम मुद्दा में दो अहम विषयों पर चर्चा हुई। इसके पहले हिस्से में राजनाथ सिंह के रिपोर्ट कार्ड पर चर्चा हुई। इस अहम मुद्दे पर चर्चा के लिए विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे। इन लोगों में गोविंद पंत राजू( सलाहाकार संपादक एपीएन), कर्नल शिवदान सिंह (रक्षा विशेषज्ञ), रि0 ब्रिगेडियर बी डी मिश्रा (रक्षा विशेषज्ञ) व अनुज अत्रेय (नेता कांग्रेस) शामिल थे।

बी डी मिश्रा ने कहा कि कश्मीर की जो समस्या है यह समस्या भारत की समस्या नही है। इसमें सबसे बड़ी समस्या पाकिस्तान से है। पाकिस्तान हर दिन ये कोशिश करता है कि भारत को परेशान रखें। उसी के पोषण में कश्मीर में समस्या उत्पन्न की जा रही है। जब से मोदी सरकार आयी है मोदी जी से खास डर है पाकिस्तान को और वहां के नेताओं को खास डर है। ऐसे कई लोग वहां हैं जो चाहते हैं मोदी को परेशानी हो कश्मीर को लेकर जिससे वो स्थापित न हो सके।

शिवदान सिंह ने कहा कि जो हमारी लड़ाई पाकिस्तान के साथ चल रही है इसके दो हिस्से है। मनोवैज्ञानिक युद्ध और जमीन पर कार्यवाई करके दिखाना। जब से मोदी सरकार बनी है तब से पाकिस्तान के आकाओं को बड़ा साफ मैसेज चला गया है कि इस बार राष्ट्रवादी सरकार बनी है। राजनाथ सिंह ने खुद ही बताया कि घुसपैठ 45 प्रतिशत कम हो गई है।

गोविंद पंत राजू ने कहा कि ऐसा नही है कि सेना का मनोबल कभी कम रहा है सेना का मनोबल पहले से मजबूत रहा है। लेकिन अगर साफ-साफ मैसेज आये सेना के बड़े अधिकारी की तरफ से कि सेना प्रमुख ये चाहते हैं कि घरेलु मामले को देखते हुए भी सैनिक की जान की कीमत है। उसकी जान की कीमत ताबूत में भारतीय तिरंगा लहराने और सलामी देने की नही है बल्कि उसके जिन्दा रखने की अहमियत सबसे अधिक है। सेना के जनरल की तरफ अगर ये बात आये तो कही ना कही सेना के जवान का मनोबल ऊँचा होता है। कश्मीर के मामले में यह  सब पहली बार हो रहा है।

अनुज अत्रेय ने कहा कि ना जाने कौन वो लोग हैं जो बोल रहे हैं कि पिछले 3 सालों में कश्मीर के हालात सुधरे हैं। बीते तीन सालों में 500 से ज्यादा सैनिकों की शहादत अकेले कश्मीर के अंदर हो चुकी है। बीते तीन सालों में कश्मीर के अंदर घुसपैठ कश्मीर के माध्यम से हो चुका है। बीते तीन सालों में जितने आतंकवादी हमले हमारे ऊपर हुए है उतने आतंकवादी हमले शायद कभी नही हुए है। पाकिस्तान के नाम पर राजनीति कर हम देश की सत्ता हासिल करते आये हैं। नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि कश्मीर की समस्या का हल सरहद पर नही दिल्ली में बैठ के हो सकता है। हम जानना चाहते हैं आपके रहते पिछले तीन साल में ये समस्या और क्यों इतनी बढ़ गई।

आरएसएस को वैलेंटाइन डे पसंद नही

इसके दूसरे हिस्से में आरएसएस के नेता द्वारा वैलेंटाइन डे को लेकर दिये गये विवादित बयान पर चर्चा हुई। इस अहम मुद्दे पर चर्चा के लिए भी विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे। इन लोगों में गोविंद पंत राजू, अनुज अत्रेय व जितेन्द्र तिवारी (संघ विचारक) शामिल थे।

राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के नेता इंद्रेश कुमार का एक विवादित बयान सामने आया है। इंद्रेश कुमार ने कहा है कि देश में प्रेमियों के त्योहार वैलेंटाइन डे की वजह से बलात्कार जैसी घटनाएं होती हैं। उनका कहना है कि बच्चों के साथ जो अवैध संबंध बनाए जाते हैं और महिलाओं के प्रति हिंसा केवल वैलेंटाइन डे की वजह से होती है। वैसे ये पहला मौका नहीं है जब किसी नेता ने बलात्कार पर विवादित बयान दिया है। उनके इस बयान को लेकर हंगामा मच गया है और इस बयान के बाद विपक्ष के नेता आरएसएस के सोच पर भी सवालिया निशान लगा रहे हैं।

अनुज अत्रेय ने कहा कि क्या आज हम उस दौर में हैं जहां हम महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं जहां हम महिलाओं के उत्थान की बात करते हैं जहां ये सरकार बेटी बढ़ाओं बेटी पढ़ाओं की बात करती है। वहीं दूसरी तरफ हम उनको कहते हैं कि घर में बैठाइयें कमरे में बैठाइये। आरएसएस के तरफ से अगर ऐसी बाते आती है तो हम देश को क्या संदेश देना चाहते हैं।

गोविंद पंत राजू ने कहा कि फरवरी बीते भी बहुत वक्त हो गया और फरवरी आने में भी बहुत समय है। ऐसे बेसमय वेलेंटाइन डे की बात करना शायद सिर्फ चर्चा में आने के लिए किया गया। इस तरह के बयानों का कोई तर्क नही है। वेलेंटाइन डे का मतलब बलात्कार की मानसिकता को बढ़ावा देना नही है। आप वहां चोट करिए जहां से ये मानसिकता पैदा होती है।

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