आपको जानकर हैरानी होगी कि मीट (Meat) और डेयरी प्रोडक्ट्स (Dairy Products) से उत्पन्न हो रहा कार्बन का उत्सर्जन (carbon emission) ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) के लिए जिम्मेदार है। ग्लोबल वार्मिंग का मतलब बढ़ता तापमान है। मीट और डेयरी प्रोडक्टस के कार्बन उत्सर्जन पर वैज्ञानिकों की नई रिसर्च सामने आई है। रिसर्च (Reaserch) में बताया गया है कि, पौधों से तैयार होने वाले खाने के मुकाबले मीट और डेयरी प्रोडक्ट दोगुना कार्बन उत्सर्जन करते हैं। जो पर्यावरण के लिए हानिकारक है। हालात ऐसे ही रहे तो गर्मी और बढ़ेगी। यह दावा अमेरिका की इलिनॉयस यूनिवर्सिटी (University of Illinois of America) के शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च में किया है।
कैसे हुई रिसर्च
खाना हमारे लिए बहुत जरुरी है इसी लिए वैज्ञानिकों ने 200 देशों में रिसर्च की। इन देशों में उगने वाली 171 फसलों और जानवरों से तैयार किए जाने वाले 16 उत्पादों को जांचा गया जिसमें सामने आया कि जानवरों से मिलने वाली मीट और डेयरी उत्पादों से 57 फीसदी तक कार्बन का उत्सर्जन होता है। वहीं, पौधों से तैयार फूड से मात्र 29 फीसदी तक ही कार्बन उत्सर्जन होता है।
इलिनॉयस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता का कहना है, हमारी स्टडी बताती है कि कुल ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में से 33 फीसदी तक फूड प्रोडक्शन ही जिम्मेदार है। इसके लिए इंसान जिम्मेदार है।
शाकाहारी होने के फायदे समझें
- अगर दुनिया की सारी आबादी मांस छोड़कर सिर्फ शाकाहार खाना खाने लगे तो 2050 तक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में 70% तक की कमी आ सकती है।
- अगर दुनिया में 12 अरब एकड़ जमीन खेती और उससे जुड़े काम में इस्तेमाल होती है। इसमें से भी 68% जमीन जानवरों के लिए इस्तेमाल होती है। अगर सब लोग वेजिटेरियन बन जाएं तो 80% जमीन जानवरों और जंगलों के लिए इस्तेमाल में लाई जाएगी।
- इससे कार्बन डाइ ऑक्साइड की मात्रा कम होगी और क्लाइमेट चेंज से निपटने में मदद मिलेगी। बाकी बची हुई 20% जमीन का इस्तेमाल खेती के लिए हो सकेगा। जबकि, अभी जितनी जमीन पर खेती होती है, उसके एक-तिहाई हिस्से पर जानवरों के लिए चारा उगाया जाता है।
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