ड्रोन का नाम तो सब ने सुना ही होगा, क्योंकि आजकल लोग ये आम तौर पर उपयोग कर रहे हैं। जैसे- ट्रैवलिंग, इवेंट, व्लॉग आदि जगहों पर इस्तेमाल किया जा रहा है। मगर आज हम एक ऐसे ड्रोन के बारे में बात करेंगें जिसको जर्मनी के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है।

यह ड्रोन प्राकृतिक आपदा में फंसे लोगों को चीखने और चिल्लाने की आवाज से बचा सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस यह ड्रोन इंसान, जानवर और इसके पंखों की आवाज में फर्क कर सकता है। इस ट्रोन को ट्रायल के दौरान इंसान के चिल्लाने, तालियों और किसी चीज के टकराने की आवाजें इसे सुनाई गईं और ट्रायल सफल रहा। इस ड्रोन को वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है।

यह ड्रोन वैज्ञानिकों के अनुसार, इस तरह से तैयार किया जा रहा है कि यह प्राकृतिक आपदा में फंसे लोगों की गंध सूंघकर उनका पता लगा सके। इस ड्रोन को बनाने वाली टीम ने इसका नाम वेरेला रखा हैं।

इस प्रकार तैयार हुआ यह ड्रोन

वैज्ञानिकों ने इस ड्रोन में अलग अलग तरह की आवाजें  मुसीबत में फंसे लोगों की डाटाबेस में शामिल किया। जिसमें चिल्लाने, ताली बजाने और किक मारने के आवाज को रिकॉर्ड किया है।  

वैज्ञानिकों ने इसके डाटाबेस में चिड़िया का चह चहाना, हवा की सनसनाहट और ड्रोन के मोटर की आवाज को भी रखा है, ताकि आपदा के समय ये इंसान और ऐसी आवाजों के बीच गुमराह न हो।

ड्रोन वेरेला का कहना है, इसमें काफी छोटा डिजिटल माइक्रोफोन का उपयोग किया गया है जो आवाज को आसानी से सुन सकेगा। यह ड्रोन अब अपने फील्ड टेस्ट में पास हो चुका है। टेस्टिंग के दौरान कुछ ही सेकंड में इसने चिल्लाने की आवाज को पहचाना और वहीं रुक गया।

यह ड्रोन रेस्क्यू टीम की कर सकेगा मदद

प्राकृतिक आपदा जैसे भूकंप में लोगों की जान बचाना अहम होती है, ऐसे में यह नया ड्रोन काफी मददगार साबित होगा। ड्रोन कम समय में आसानी से बड़े से बड़े क्षेत्र में भ्रमण कर सकता है। यह आपदा से लोगों को बचाने वाली टीम के लिए काफी कारगार साबित होने वाला है।

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