Boris Baker : गुजरे जमाने के टेनिस स्टार और तीन बार के विंबलडन चैंपियन रह चुके बोरिस बेकर आखिरकार 8 माह बाद जेल से रिहा हो गए।गौरतलब है कि दिवालियापन से जुड़े आरोपों में फंसे होने की वजह से उन्हें ब्रिटेन की कुख्यात वैंड्सवर्थ जेल में रखा गया था।
इस दौरान एक जगह दिए साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि जेल में रहते हुए उन्हें पहली बार पता चला कि भूख क्या होती है। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि मैंने वहां खुद में इंसानियत की खोज की।इस दौरान मैंने वहां कई सबक भी सीखे, जो बहुत खराब है।
कहा कि वहां अक्सर उन्हें चावल, आलू और सॉस ही मिलती थी। 55 वर्षीय बोरिस बेकर को अलग सेल में रखा गया था। जहां पर वे खुद को अकेला महसूस कर रहे थे। उन्हें लगातार अपने परिजनों और दोस्तों की कमी खल रही थी।
Boris Baker: जेल के अंदर में कैदी नंबर ‘A2923 EV’ था
Boris Baker: बोरिस बेकर ने जेल में बिताए अपने पलों को साझा करते हुए कहा कि जेल के अंदर आप क्या हैं, कुछ भी नहीं, आप यहां महज एक नंबर बन कर रह जाते हैं।कैदी मुझे मेरे नंबर से बुलाते थे।मेरा नंबर ए2923 ईवी था।यहां किसी को कोई मतलब नहीं कि आप कौन हैं। हालांकि यहां मेरे कई दोस्त भी बने।उन्होंने नवंबर में मेरे जन्मदिन के मौके पर केक मंगवाकर सेलिब्रेट भी किया था।
जानें क्यों जेल में बंद थे Boris Baker ?
Boris Baker: विंबलडन चैंपियन के दिवालिया घोषित किए जाने के बावजूद उन पर कई आरोप थे। जिसमें अवैध रूप से बड़ी मात्रा में धन हस्तांतरित करने और संपत्ति छिपाने का आरोप भी था।इसी मामले में एक कोर्ट ने उन्हें अप्रैल में 30 महीने की सजा सुनाई गई थी।
इस दौरान बेकर को रिहाई के लिए नियमानुसार कम से कम आधी सजा काटने की जरूरत थी। विदेशी नागरिकों के लिए फास्ट ट्रेक निर्वासन कार्यक्रम के तहत उन्हें जल्दी रिहाई दी गई।बेकर को 15 दिसंबर को उनके देश जर्मनी निर्वासित किया गया।
बोरिस बेकर को रिहा किए जाने की शर्तों में एक ये भी है कि अगले एक दशक तक वह किसी भी हाल तक में ब्रिटेन में नहीं आ सकते।हालांकि उनका बेटा ब्रिटेन में ही रह रहा है।
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