आधार की संवैधानिकता और अनिवार्यता को लेकर गुरुवार (8 फरवरी) को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने एक अखबार का हवाला देते हुए कहा कि गरीबों को सुविधाएं नही मिल रही हैं। आधार का ऑथेंटिकेशन ना होने की वजह से ऐसा हो रहा है। सिब्बल ने आगे कहा कि हमारे ऐसे कई गांव हैं जहाँ बिजली नहीं है, आधार ऑथेंटिकेशन मशीन नहीं है। ऐसे में गरीबों को सुविधाओं से कैसे वंचित किया जा सकता है। कोर्ट को ऐसे में अंतरिम आदेश देंना चाहिए। मामले पर जस्टिस सीकरी ने टिप्पणी करते हुए कहा कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को ‘आधार’ के फायदे की जानकारी तक नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि अभी तक की रिपोर्ट के मुताबिक 120 करोड़ लोगों का आधार बन चुका है और 10 करोड़ लोग ही बचे हैं। आधार गांव गांव तक पहुँचा है। कोर्ट ने आधार कानून का हवाला देते हुए हुए कहा अगर आधार का ऑथेंटिकेशन नहीं होता है तो उस परिस्थिति में आधार नंबर से भी काम चल सकता है। अगर आधार नंबर भी नहीं है तो एनरोलमेंट नंबर भी मान्य है। इन सबके ना होने पर दूसरे ID कार्ड से भी काम चल सकता है।

कोर्ट ने मामले में कोई भी अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया साथ ही कोर्ट ने सवाल किया कि संविधान में मल्टीपल ID कार्ड की व्यवस्था है और क्या आधार उनके साथ सहअस्तित्व में रह सकता है। इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि यह  रह सकता है अगर आधार स्वैच्छिक हो। दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने कैबिनेट सचिव के नोट का हवाला देते हुए कहा कि लोगों को आधार से संबंधित जो समस्याएं आ रही हैं उन्हें लेकर सभी राज्यों को लिखा गया है कि  इनको दूर किया जाए। इसके अवाला भी जो समस्याएं हैं उन्हें भी कानून के मुताबिक दूर किया जाएगा। मामले पर अगली सुनवाई मंगलवार 13 फरवरी को होगी।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here