सुप्रीम कोर्ट में लगातार ‘आधार’ की संवैधानिकता और अनिवार्यता को लेकर सुनवाई चल रही है। बुधवार (7 फरवरी) को भी मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस ए के सीकरी, जस्टिस ए एम खानविलर, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच में सुनवाई हुई।
बुधवार को सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अपनी दलीलें रखीं। कपिल सिब्बल ने कहा कि कोई भी कानून किसी व्यक्ति के पर्सनल डाटा को खतरे में नही डाल सकता और इस डिजिटल वर्ल्ड में सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। कपिल सिब्बल ने कहा कि आधार के लिए डाटा और मेटाडाटा इकट्ठा करना निजता का हनन है अगर आप स्टेशन पर टिकट के आधार देते हैं तो आपके सारी यात्राओं का ब्यौरा आ जाता है, ये मेरी निजता के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सवाल किया कि यह आधार की वजह से है या फिर सॉफ्टवेयर की वजह से है।
सुनवाई के दौरान जस्टिस सीकरी ने कहा कि अगर मेरे पास आधार संख्या नहीं है तो मैं फिर भी मौजूद हूं इस पर कपिल सिब्बल ने सहमती जाताई और कहा कि हां हम एक आधार संख्या से ज्यादा हैं लेकिन अब सिर्फ आधार से ही मेरी पहचान की जा रही है। कपिल सिब्बल ने यह भी कहा कि अगर राष्ट्रीय आधारित जानकारी से समझौता किया जाता है, तो हम कुछ भी नहीं कर सकते। कोई भी आपराधी, आपराधिक मुकदमे के दौरान अपने बचाव मे यह कह सकता है कि मेरे फिंगरप्रिंट चुराए गए हैं।
सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने यह भी तर्क दिया कि आधार से मैं ही नहीं मेरी आने वाली पीढ़ी भी आजीवन बंधी रहेगी जो मेरी निजता का पूरी तरह से हनन है और यह व्यक्ति को नुकसान पहुचा रहा है। यही नहीं ये संविधान के अनुच्छेद 21 का भी पूरी तरह से उल्लंघन है। मामले पर गुरुवार को भी सुनवाई जारी रहेगी।