Environment: लगातार घटते ऊर्जा संसाधन के बाद ‘Renewable Energy’ के उत्‍पादन पर बढ़ा दुनिया का फोकस

Environment: भारत के समुद्री क्षेत्र, उच्‍च सौर ऊर्जा के क्षेत्रों में नए प्रोजेक्‍ट स्‍थापित किए जा रहे हैं, ताकि भविष्‍य की जरूरतों को ध्‍यान में रखते हुए अक्षय ऊर्जा का भंडारण किया जा सके।

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Environment:बढ़ती आबादी के बोझ, प्रदूषण के स्‍तर और घटते ऊर्जा संसाधनों की कमी को देखते हुए दुनिया भर की नजरें अब अक्षय ऊर्जा (Renewable Energy) के उत्‍पादन पर टिकी हैं। हाल में जारी अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 में दुनियाभर में अक्षय ऊर्जा क्षमता में करीब 295 गीगावॉट की बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान भारत में अक्षय ऊर्जा क्षमता 13.5 गीगावॉट बढ़ी है। जोकि वर्ष 2020 के मुकाबले 128 प्रतिशत अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार अक्षय ऊर्जा क्षमता की बढ़ोतरी ऐसे समय में हुई है, जब रूस और यूक्रेन के मध्‍य चल रही जंग से सप्‍लाई चेन में कई प्रकार की रूकावटें सामने आईं।

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Solar Energy.

Environment: कच्‍चे माल की कमी से उत्‍पादन प्रभावित

रूस-यू्क्रेन युद्ध के बाद बहुत से देशों में कच्‍चे माल की कमी हो गई।जिसका असर उत्‍पादन क्षमता पर पड़ा। नतीजतन कच्‍चे माल के दाम तेजी के साथ बढ़े। अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत ने पूरे विश्‍व में पांचवां स्‍थान हासिल किया है और ये तेजी के साथ बढ़ रहा है। सरकार ने वर्ष 2022 तक 175 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा का लक्ष्‍य रखा है।जिसमें 100 गीगावॉट सौर ऊर्जा, 60 गीगावॉट पवन, 10 गीगावॉट बायोपावर और 5 गीगावॉट छोटे हाइड्रो पावर का रहेगा।

Environment: पवन ऊर्जा में चीन का स्‍थान पहला

बात अगर पवन ऊर्जा की करें, तो इसमें दुनियाभर में चीन का पहला स्‍थान आता है। दूसरे स्‍थान पर यूएसए, तीसरे स्‍थान पर जर्मनी और चौथे स्‍थान पर भारत का नाम आता है। ऐसे में भारत को इस पहलु पर और ध्‍यान देगा।

Environment: सौर और भूतापीय ऊर्जा के उत्‍पादन भी दिया जा रहा ध्‍यान

बढ़ते प्रदूषण, घटता कच्‍चा माल और ऊर्जा के अनवीनीकरण स्‍ताेत्रों की बजाय अब पूरा फोकस सौर और भूतापीय ऊर्जा के उत्‍पादन पर दिया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सौर ऊर्जा के उत्‍पादन को बढ़ाया जा रहा है।

भारत के समुद्री क्षेत्र, उच्‍च सौर ऊर्जा के क्षेत्रों में नए प्रोजेक्‍ट स्‍थापित किए जा रहे हैं, ताकि भविष्‍य की जरूरतों को ध्‍यान में रखते हुए अक्षय ऊर्जा का भंडारण किया जा सके। इसके इस्‍तेमाल से प्रदूषण के स्‍तर पर काफी हद तक कमी आने के साथ ही भविष्‍य की जरूरतों को भी पूरा किया जा सकेगा।

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