Rani Avantibai Balidan Divas: 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में वीरता का पराक्रम दिखाने वालीं वीरांगना रानी अवंतीबाई की आज पुण्यतिथि है। उनकी पुण्यतिथि पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री Bhupesh Baghel, मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, सांसद रवि किशन, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव समेत देश के कई राजनेताओं ने उन्हें याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।

वीरांगना रानी अवंतीबाई के बलिदान दिवस पर उन्हें याद करते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट किया, ”महान स्वाधीनता संग्राम सेनानी, शौर्य, बलिदान एवं त्याग की प्रतिमूर्ति, अमर शहीद वीरांगना रानी अवंतीबाई लोधी जी को उनके बलिदान दिवस पर विनम्र श्रद्धांजलि एवं कोटिशः नमन। आपका त्यागपूर्ण जीवन युगों-युगों तक सभी भारतीयों को मां भारती की सेवा के लिए प्रेरित करता रहेगा।”
रानी अवंतीबाई को नमन करते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट किया, ”भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाते हुए, देश के लिए प्रथम महिला शहीद वीरांगना के रूप में अपनी शहादत देने वाली महान रानी अवंतीबाई लोधी जी की पुण्यतिथि पर हम सब कोटि-कोटि नमन करते हैं। वे रेवांचल मुक्ति आंदोलन की सूत्रधार थीं। उनका जीवन एक प्रेरणा अध्याय है।”
प्रसिद्ध अभिनेता और गोरखपुर से सांसद रवि किशन ने रानी अवंतीबाई को याद करते हुए ट्विटर पर लिखा, ” साहस की प्रतिमूर्ति वीरांगना “रानी अवंतीबाई लोधी” जी के बलिदान दिवस पर उन्हें सादर नमन। स्वदेश व स्वाभिमान की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वाली अवंतीबाई ने ब्रिटिश साम्राज्य के विरूद्ध 1857 के स्वाधीनता संग्राम में देशवासियों को संगठित कर आजाद भारत की मजबूत नींव रखी थी। ”
1857 की क्रांति में Rani Avantibai ने 4,000 सैनिकों की सेना का किया था नेतृत्व
Rani Avantibai का जन्म लोधी राजपूत परिवार में 16 अगस्त 1831 को MP के सिवनी जिले में हुआ था। उनकी शादी राजकुमार विक्रमादित्य सिंह लोधी से हुई थी। 1857 की क्रांति में अवंतीबाई ने 4,000 सैनिकों की सेना का नेतृत्व किया था। अंग्रेजों के साथ उनकी पहली लड़ाई मंडला के पास खीरी गांव में हुई, जहां उनकी सेना ने ब्रिटिश सेना को हरा दिया था।

जिसके बाद अपनी हार से बौखलाकर अंग्रेजों ने रामगढ़ पर हमला कर दिया था। अपनी सुरक्षा के लिए Rani Avantibai देवहरीगढ़ की पहाड़ियों में चली गईं। रामगढ़ में आग लगाकर ब्रिटिश सेना उन पर हमला करने के लिए देवहरीगढ़ की ओर बढ़ी। अंत में अंग्रेजों का मुकाबला करते हुए रानी अवंतीबाई ने खुद को तलवार मार ली थी और 20 मार्च 1858 को देश के लिए वीरगति प्राप्त की थी।
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