OROP पर SC ने केंद्र सरकार के फैसले को रखा बरकरार, कहा- इसमें कोई संवैधानिक कमी नहीं

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने वन रैंक वन पेंशन (One Rank One Pension) मामले में अपना फैसला सुना दिया है।

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Supreme Court OROP
Karnataka Hijab

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने वन रैंक वन पेंशन (One Rank One Pension) मामले में अपना फैसला सुना दिया है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सरकार का ‘वन रैंक-वन पेंशन’ का फैसला मनमाना नहीं है। ये किसी संवैधानिक कमी से ग्रस्त नहीं है। इस पीठ में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ भी शामिल थे। देश की सर्वोच्‍च अदालत ने कहा कि OROP की लंबित पुनर्निर्धारण प्रक्रिया एक जुलाई, 2019 से शुरू की जानी चाहिए, 3 महीने में बकाया राशि का भुगतान किया जाना चाहिए।

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सेवानिवृत्‍त सैनिक संघ ने Supreme Court में दायर की थी याचिका

शीर्ष अदालत ने सेवानिवृत्त सैनिक संघ की ओर से दायर उस याचिका का निपटारा किया, जिसमें भगत सिंह कोश्यारी समिति की सिफारिश पर 5 वर्ष में एक बार समीक्षा की वर्तमान नीति के बजाय स्वत: वार्षिक संशोधन के साथ ‘वन रैंक वन पेंशन’ को लागू करने का अनुरोध किया गया था।

इस मामले में 16 फरवरी को पिछली सुनवाई हुई थी। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र की अतिश्योक्ति OROP नीति पर आकर्षक तस्वीर प्रस्तुत करती है, जबकि इतना कुछ सशस्त्र बलों के पेंशनरों को मिला नहीं है। बता दें कि पूर्व सैनिकों की एक संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि इस नीति से वन रैंक वन पेंशन का मूल उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है। इसकी हर साल समीक्षा की जानी चाहिए, लेकिन इसमें 5 साल में समीक्षा का प्रावधान है। ऐसे में अलग-अलग समय पर रिटायर हुए लोगों को अब भी अलग पेंशन का भुगतान किया जा रहा है।

कोर्ट ने सुरक्षित रखा था अपना फैसला
मामले में सुनवाई करते हुए पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी भारतीय पूर्व सैनिक आंदोलन की ओर से पेश हुए थे। पीठ का कहना था, कि जो भी फैसला लिया जाएगा, वह वैचारिक आधार पर होगा न कि आंकड़ों पर। पीठ ने अपनी टिप्पणी करते हुए कहा था कि योजना में जो गुलाबी तस्वीर पेश की गई थी, वास्तविकता उससे कहीं अलग है। पिछली सरकार में मंत्री रहे पी.चिदंबरम को भी जिम्‍मेदार ठहराया गया। मालूम हो कि केंद्र सरकार ने 7 नवंबर 2011 को एक आदेश जारी कर वन रैंक वन पेंशन योजना लागू करने का फैसला लिया था, लेकिन इसे साल 2015 से पहले लागू नहीं किया जा सका। इस योजना के दायरे में 30 जून 2014 तक सेवानिवृत्त हुए सैन्यबल कर्मी आते हैं।

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