लखीमपुर खीरी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कुछ अहम निर्देश दिए। मामले की अगली सुनवाई 24 मार्च को होगी। कोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया। जिसमें राज्य सरकार से लखीमपुर खीरी हिंसा के आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग करने वाली याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा गया है।
पीड़ित परिवारों ने खटखटाया था Supreme Court का दरवाजा
आशीष मिश्रा को दी गई जमानत के खिलाफ पीड़ित परिवारों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। दायर याचिका में कहा था, कि हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत देते समय शीर्ष अदालत के दिशा-निर्देशों का पालन ही नहीं किया। बीते 3 अक्तूबर को उत्तर प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की लखीमपुर खीरी जिले की यात्रा के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे 4 किसान एक एसयूवी द्वारा कुचले जाने के बाद मारे गए थे। यह एसयूवी कथित तौर पर केंद्रीय गृहराज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा के काफिले का हिस्सा थी।
एसआईटी ने दाखिल की थी चार्जशीट
लखीमपुर खीरी के तिकुनिया गांव में हुई हिंसा मामले में एसआईटी ने 3 महीने के अंदर सीजेएम अदालत में 3 जनवरी को 5000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपी बनाते हुए 13 आरोपियों को मुजरिम बताया था। इन सभी के खिलाफ सोची समझी साजिश के तहत हत्या, हत्या का प्रयास, अंग भंग की धाराओं समेत आर्म्स एक्ट के तहत कार्रवाई की थी।
वहीं 10 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए आशीष मिश्र मोनू की जमानत अर्जी सशर्त मंजूर कर ली थी। जमानत आदेश में धारा 302 और 120 बी का जिक्र नहीं था। लिहाजा 11 फरवरी को आशीष मिश्र के वकील ने जमानत आदेश में सुधार की अदालत में अर्जी लगाई थी।
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