Swami Vivekananda Birth Anniversary: स्वामी विवेकानंद की आज 159वीं जयंती है। स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को हुआ था और निधन 4 जुलाई 1902 में हुआ था। स्वामी विवेकानंद ने भारतीय वेद, योग और अध्यात्म को देश-विदेश में पहुंचाया और हिंदू धर्म का पूरी दुनिया में प्रचार-प्रसार किया। स्वामी विवेकानंद ने 128 साल पहले 11 सितंबर 1893 को अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म संसद के मंच से अपना पहला मशहूर भाषण दिया था। इस भाषण का जिक्र होते ही वो किस्सा जरूर याद किया जाता है, जब स्वामी विवेकानंद ने वहां मौजूद श्रोताओं को ‘अमेरिका के भाइयों और बहनों’ कहकर संबोधित किया था।
Swami Vivekananda Birth Anniversary: जब स्वामी विवेकानंद ने कहा, अगर मौत भी आ गई तो…
स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका की धरती पर खड़े होकर दुनिया को भारतीय अध्यात्म और दर्शन की उस परंपरा से परिचित कराया, जिसमें सभी धर्मों को एक ही ईश्वर तक पहुंचने का रास्ता माना गया है।
39 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहने वाले स्वामी विवेकानंद ने, अपनी ज़िन्दगी की सांध्यबेला में शिलांग में अपने शिष्यों से एक बार कहा था कि – “चलो छोड़ो, अगर मौत भी आ गई तो क्या फ़र्क पड़ता है, जो मैं देकर जा रहा हूँ वो अगले डेढ़ हजार वर्षों तक की खुराक है।”
उनके विचार आज भी प्रासांगिक बने हुए हैं, जो किसी भी व्यक्ति की निराशा को दूर कर सकते हैं और आशा भर सकते हैं।
Swami Vivekananda Birth Anniversary: स्वामी विवेकानंद की कही 7 बातें…
- उठो, जागो और तब तक रुको नहीं जब तक कि तुम अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेते।
- आप जो भी सोचेंगे, आप वही हो जाएंगे। अगर आप खुद को कमजोर सोचेंगे तो आप कमजोर बन जाएंगे। अगर आप सोचेंगे की आप शक्तिशाली हैं तो आप शक्तिशाली बन जाएंगे।
- एक नायक की तरह जिएं। हमेशा कहें मुझे कोई डर नहीं, सबको यही कहें कोई डर नहीं रखो।
- अगर आप पौराणिक देवताओं में यकीन करते हैं और खुद पर यकीन नहीं करते हैं तो आपको मुक्ति नहीं मिल सकती है। अपने में विश्वास रखो और इस विश्वास पर खड़े हो जाओ, शक्तिशाली बनो, इसी की हमें जरूरत है।
- एक समय में एक काम करो और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।
- जो भी तुम्हे शारीरिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक रूप से कमजोर करे, उसे विष समझ त्याग दो।
- तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुमको सब कुछ खुद अंदर से सीखना है। आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नही है।
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