Year Ender 2021: बीते हुए पल को हर कोई याद करता है, इसमें कुछ अच्छी यादे होती हैं तो कुछ बुरी यादें शामिल होती हैं। साल 2021 खत्म होने वाला है और लोग नए साल का स्वागत करने के लिए तैयार हैं। साल खत्म होते ही चर्चित घटनाओं की चर्चा भी होने लगी है। इन घटनाओं में दिल्ली के लाल किले (Delhi Red Fort) पर 72वें गणतंत्र दिवस पर जो हिंसा हुई थी उसे भुला पाना मुश्किल है। तीनों कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों ने ट्रैक्टर रैली की आड़ में दिल्ली की शान कहे जाने वाले लाल किले पर कब्जा कर लिया था। वहां पर जमकर तोड़ फोड़ मचाई थी। उस वक्त कई तस्वीरें सामने आईं थी जिसे देखने के बाद हर कोई परेशान हो गया था।
तीनों कानून के खिलाफ किसानों ने अपना आंदोलन वैसे 9 अगस्त 2020 में ही शुरू कर दिया था। इस आंदोलन की राष्ट्रव्यापी शुरुआत 5 नवंबर 2020 को हुई थी। दिल्ली की दहलीज पर बैठे किसानों को जब 2 माह हो गया तो उन्हें लगा कि सरकार उनकी सुन नहीं रही है।

किसानों ने तय किया कि भारत के 72वें गणतंत्र दिवस पर केंद्र सरकार को सबक सिखाएंगे और मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लेकर जाएंगे। इसी योजना के तहत ट्रैक्टर रैली निकाली। दिल्ली पुलिस और यूपी पुलिस को ट्रैक्टर रैली में गड़बड़ी का अंदेशा था इसलिए रैली की इजाजत नहीं दे रहे थे।

पर किसान संगठनों के बार बार सब कुछ ठीक है कहने और कोई दंगा फसाद न होने की जिम्मेदारी लेते हुए कहने पर दोनों राज्यों की पुलिस ने ट्रैक्टर रैली की इजाजत दे दी। पर रैली को रिंग रोड तक ही रखने के लिए कहा, मतलब रैली को दिल्ली के भीतर करने की इजाजत नहीं मिली थी।

कथित तौर पर ट्रैक्टर रैली की आड़ में किसान दिल्ली के भीतर घुस गए और तबाही मचाना शुरू कर दी। इतना ही नहीं कथित किसान दिल्ली के लाल किले में घुस और प्रचीर से तिरंगा उतार कर अन्य झंडे को लगा दिया था।

वहीं यह भी खबरें आईं थी कि किसान लंबे से कह रहे थे कि वे गणतंत्र दिवस के दिन आंदोलन जरूर करेंगे इस बात को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने किसानों की ट्रैक्टर रैली के लिए एक रूट तय कर दिया था लेकिन एन वक्त पर किसानों ने आउटर रिंग रो़ड पर मार्च करना शुरू कर दिया। वहीं खबर यह भी आई थी कि पुलिस ने मार्च के लिए जिस रूट को तय किया था वहां पर भी बैरिकेडिंग लगा दी थी जिसके बाद किसान बेकाबू हो गए।

बेकाबू किसानों ने पुलिस के साथ मीरपीट की। दिल्ली के लाल किला पर जहां देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तिरंगा फहराते हैं वहां पर प्रदर्शनकारियों ने तिरंगे को उतार कर सिखों का तिरंगा फहराया था साथ ही तस्वीरों के अनुसार वहां पर खालिस्तानी झंडा भी दिखा था।

खुद को किसान कहने वाले लोगों का यह रूप देख सोशल मीडिया पर यूजर ने इन्हें खालिस्तानी और आतंकवादी कहना शुरू कर दिया था। हिंसा इतनी बड़ी थी कि इसमें 500 पुलिसकर्मी घायल हुए थे।

इस मंजर के बाद कई किसानों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। खबरों की माने तो हिंसा का मुख्य आरोपी पंजाबी एक्टर और सिंगर दीप सिद्धू था। उस समय पुलिस उसकी तलाश कर रही थी। वह फरार था पर बाद में पुलिस ने उसे पकड़ लिया।

ऐसा नहीं है कि इस घटना में महज पुलिस वाले घायल हुए थे बल्कि कई किसानों की मौत भी हो गई थी। करतब दिखाते हुए किसान की ट्रैक्टर से गिरने के कारण मौत हुई थी। पर किसानों का आरोप था कि पुलिस ने उसे गोली मारी थी।

बता दें कि तीनों कानूनों के खिलाफ आंदोलन दिल्ली के गाजीपुर, टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर चल रहा था। इस तस्वीर को देख कर ट्रैक्टर रैली का अंदाजा लगा सकते हैं।

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