सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को घरों में वैवाहिक दुर्व्यवहार का शिकार होने वाली पीड़ित महिलाओं को प्रभावी कानूनी सहायता प्रदान करने और उनके लिए आश्रय गृह बनाने के लिए देश भर में पर्याप्त बुनियादी ढांचे की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा। जस्टिस यू.यू. ललित और न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट ने केंद्र सरकार, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को नोटिस जारी कर 6 दिसंबर तक जवाब मांगा है।
“वी द वीमेन ऑफ इंडिया” द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी अदालत
अदालत ने कहा, “फिलहाल हम 1 से 3 प्रतिवादियों को नोटिस जारी करेंगे। हम राज्यों को नोटिस जारी नहीं कर रहे हैं। हम मामले को केंद्र सरकार की निगरानी में रखेंगे।” शीर्ष अदालत “वी द वीमेन ऑफ इंडिया” द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें घरों में वैवाहिक दुर्व्यवहार का शिकार होने वाली महिलाओं को प्रभावी कानूनी सहायता प्रदान करने और उनके लिए आश्रय गृह बनाने के लिए देश भर में घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम के तहत पर्याप्त बुनियादी ढांचे की मांग की गई थी।
महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा सबसे आम अपराध
याचिका में कहा गया है कि घरेलू हिंसा अधिनियम 15 साल से अधिक समय से लागू होने के बावजूद महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा सबसे आम अपराध है। याचिका में कहा गया है, “राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, ‘महिलाओं के खिलाफ अपराध’ के तहत दर्ज किए गए 4.05 लाख मामलों में से 30 प्रतिशत से अधिक घरेलू हिंसा के मामले थे।”
घरेलू हिंसा की शिकार लगभग 86 प्रतिशत महिलाएं कभी मदद नहीं लेतीं
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के निष्कर्षों का हवाला देते हुए, याचिका में कहा गया है कि घरेलू हिंसा की शिकार लगभग 86 प्रतिशत महिलाएं कभी मदद नहीं लेती हैं। जनहित याचिका ने मामले में केंद्र, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पक्षकार बनाया है।