ICC World Cup: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच क्रिकेट विश्वकप 2023 का फाइनल अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेला जा रहा है। आइये, याद करते हैं 1983 का वो साल जब भारत पहली बार चैम्पियन बना था और इतिहास रच दिया था। वह विश्व कप भारत के लिए एक यादगार लम्हा लेकर आया जब उसने पहली बार खिताब जीता। भारत ने लगातार दो बार की विश्व चैंपियन वेस्टइंडीज को फाइनल मुकाबले में 140 रनों पर ही समेट दिया था।
बताे दें, 1983 के वर्ल्ड कप में सबसे धुरंधर टीमों में वेस्टइंडीज, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान की गिनती होती थी। भारत की स्थिति कुछ वैसी ही थी, जैसी इन दिनों बांग्लादेश और अफगानिस्तान की है। वहीं, आज भारतीय क्रिकेट की शोहरत के आगे दूसरे सभी खेलों की चमक फीकी है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड दुनिया की सबसे ताकतवर और धनी खेल संस्थाओं में है, लेकिन एक समय ऐसा नहीं था। भारत क्रिकेट की दुनिया की कमजोर टीमों में गिना जाता था, फिर आया 25 जून 1983 का दिन। इस दिन भारत ने कपिल देव की कप्तानी में अपना पहला विश्व कप जीता। यही नहीं, जीत कायम की भी तो दो बार खिताब अपने नाम करने वाली वेस्टइंडीज के खिलाफ। ये सचमुच किसी सपने से कम नहीं था। बस यहीं से भारतीय क्रिकेट की कहानी बदल गई…
- 1983 वर्ल्ड कर के उस मैच में भारतीय टीम ने पहले बल्लेबाज की थी। सुनील गावस्कर महज दो रन बनाकर आउट हो गए थे, लेकिन उनके साथी श्रीकांत ने 38 रनों की पारी खेली थी।
- श्रीकांत ने सूझबूझ से बल्लेबाजी करते हुए 57 गेंदों का सामना किया और सात चौकों के अलावा एक छक्का मारा। बता दें, श्रीकांत इस मैच में टीम के सर्वोच्च स्कोरर रहे। भारत ने 183 रनों का स्कोर बनाया था।
- उस वक्त भारत को अपने कम स्कोर का बचाव करना था और इसलिए उसे शुरुआत में ही विकेट चाहिए थे। उस समय के महान बल्लेबाजों में गॉर्डन ग्रीनिज का नाम गिना जाता था। बलविंदर संधू ने उनको पैर नहीं जमाने दिए और एक रन के निजी स्कोर पर आउट कर भारत को शानदार शुरुआत दे दी।
- ग्रीनिज के जाने के बाद तीसरे नंबर पर आए विवियन रिचर्ड्स भारत के लिए खतरा बन रहे थे और लगातार रन बरसा रहे थे, लेकिन टीम इंडिया के कप्तान कपिल देव के एक शानदार कैच ने रिचर्ड्स की पारी का अंत कर भारत को बहुत बड़ी राहत देने का काम किया। मदन लाल की गेंद को रिचर्ड्स ने पुल किया और गेंद डीपस्क्वायर लेग पर गई। लेग अंपायर के पास खड़े कपिल ने पीछे भागते हुए इस मुश्किल कैच को पकड़ा और रिचर्ड्स को पवेलियन भेजा। वह 28 गेंदों पर 33 रन बनाकर आउट हुए।
- मोहिंदर अमरनाथ की बात करें तो वे 1983 विश्वकप में प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट ने थे। फाइनल में भी वह प्लेयर ऑफ द मैच चुने गए। उन्होंने तीन विकेट लिए, जिसमें से एक जैफ डजन का विकेट था। ये विकेट उन्होंने बेहद अहम समय लिया। जैफ अच्छी बल्लेबाजी कर रहे थे और भारत के लिए खतरा बन सकते थे। वह 26 रनों पर थे तभी अमरनाथ ने उन्हें बोल्ड कर दिया। उनका विकेट 119 रनों के कुल स्कोर पर गिरा।
- बता दें कि अमरनाथ ने ही वो यादगार विकेट लिया था जिसने भारत को विश्व चैंपियन बना दिया, यानी वेस्टइंडीज का आखिरी विकेट। अमरनाथ ने माइकल होल्डिंग को एलबीडब्ल्यू आउट कर वेस्टइंडीज की पारी 140 रनों पर समेट दी थी और भारत विश्व विजेता बना था। इसके बाद कपिल देव ने लॉर्ड्स की बालकनी में विश्व कप की ट्रॉफी उठाई और इस पल को हमेशा के लिए यादगार बना दिया।
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