अमेरिकी सरकार ने अब संयुक्त राष्ट्र (यूएन) वैश्विक शरणार्थी समझौते से अलग होने का फैसला किया है। उनका कहना है कि ओबामा के कार्यकाल में हुए इस समझौते के कई प्रावधान अमेरिका की अप्रवासन एवं शरणार्थी नीतियों और ट्रंप प्रशासन के अप्रवासन सिद्धांतों के खिलाफ हैं।
संयुक्त राष्ट्र के लिए अमेरिकी मिशन ने एक बयान में कहा, राष्ट्रपति ट्रंप ने निश्चय किया है कि अमेरिका इस समझौते की प्रक्रिया में अपनी सहभागिता को खत्म कर रहा है जिसका लक्ष्य साल 2018 में संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय सर्वसम्मति हासिल करना है।’’ इससे पहले अमेरिकी मिशन ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव को आव्रजन पर बने वैश्विक समझौते में सहभागिता समाप्त करने के अमेरिकी फैसले से अवगत कराया। बयान में कहा गया, न्यूयार्क घोषणा पत्र में कई ऐसे प्रावधान हैं जो अमेरिकी आव्रजन और शरणार्थी नीतियों एवं ट्रंप प्रशासन के आव्रजन सिद्धांतो के साथ असंगत हैं।’’
यूएन में अमेरिकी दूतावास निक्की हेली ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समझौते की प्रक्रिया से अलग होने के लिए संकल्प ले लिया है।। इससे पहले यूएन महासचिव को अमेरिका के इस फैसले की जानकारी दी गई। शरणार्थी के संबंध में यूएन के न्यूयार्क घोषणा में शामिल होने के ओबामा प्रशासन के फैसले के बाद 2016 में अमेरिका समझौते की प्रक्रिया में शामिल हुआ।
निक्की हेली ने कहा कि अमेरिका को दुनिया भर में शरणार्थियों को मदद देने पर अपनी अप्रवासी विरासत और लंबे समय से चले आ रहे नैतिक नेतृत्व पर गर्व है। इस मामले में अमेरिका से ज्यादा किसी और देश ने नहीं किया है। अमेरिका की उदारता बनी रहेगी। लेकिन अप्रवासी नीतियों पर हमारे फैसले केवल अमेरिकियों द्वारा ही किए जाने चाहिए। यह हम तय करेंगे कि कितनी अच्छी तरह से सीमा पर नियंत्रण करेंगे और किसे हमारे देश में प्रवेश की इजाजत मिले। उन्होंने कहा कि न्यूयार्क घोषणा में वैश्विक दृष्टिकोण अमेरिकी संप्रभुता के अनुकूल नहीं है।
आपको बता दें कि ट्रंप प्रशासन यूनेस्को और पेरिस जलवायु समझौता समेत कई वैश्विक प्रतिबद्धताओं से अलग हो चुका है।