बीजिंग ने गुरुवार को वाशिंगटन और ताइवान के बीच सैन्य संबंधों पर आपत्ति जताया। वहीं ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन (Taiwan’s President Tsai Ing-wen) ने पुष्टि की है कि द्वीप पर अमेरिकी सैनिक मौजूद थे और हमें प्रशिक्षण में अमेरिका मदद कर रहा है और हमें विश्वास है कि अमेरिकी सेना चीनी हमले की स्थिति में द्वीप की रक्षा करेगी।
चीनी हमले से बचाएगी अमेरिकी सेनी
बता दें कि चीन स्व-शासित ताइवान को अपना अधिकार क्षेत्र मानता है और जरूरत पड़ने पर एक दिन इसे बलपूर्वक जब्त कर सकता है, हाल के वर्षों में चीन ने यहां अपनी गतिविधियां तेज कर दी है। गुरुवार को, त्साई ने सीएनएन के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि प्रशिक्षण में मदद करने के लिए ताइवान में अमेरिकी सैनिकों की एक छोटी संख्या है, उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि अमेरिकी सेना चीनी हमले की स्थिति में द्वीप की रक्षा करेगी।
ताइवान के साथ अमेरिका की नजदीकियों से गुस्से में चीन
इस बयान के बाद बीजिंग गुस्से में है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन (oreign Ministry Spokesperson Wang Wenbin) ने कहा, “हम संयुक्त राज्य अमेरिका और ताइवान के बीच किसी भी प्रकार के आधिकारिक आदान-प्रदान और सैन्य संपर्कों का दृढ़ता से विरोध करते हैं। हम चीन के आंतरिक मामलों में अमेरिकी हस्तक्षेप का विरोध करते हैं और अमेरिका हमारे हमारे अंदरूनी मामले को भड़काने की कोशिश कर रहा है।
चीन ने कहा, अमेरिका चीन को कम ना आंके
ऐसा पहली बार है, जब ताइवान के किसी नेता ने सार्वजनिक रूप चीन के खिलाफ बयान दी है। वांग ने कहा कि एक चीन सिद्धांत चीन-अमेरिका संबंधों की राजनीतिक नींव है। अमेरिका को राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए चीनी लोगों के दृढ़ संकल्प को कम करके नहीं आंकना चाहिए।
हाल के दिनों में ताइवान को लेकर सख्त हुआ चीन
बीजिंग ने औपचारिक संबंधों को खत्म कर दिया है और हाल के कुछ वर्षों में ताइवान पर राजनयिक, आर्थिक और सैन्य दबाव बढ़ा दिया है, क्योंकि त्साई द्वीप खुद को “एक चीन” के हिस्से के रूप में नहीं मानता है। जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका ने बीजिंग को राजनयिक मान्यता दी, लेकिन यह ताइवान के मामले में किसी भी जबरदस्ती का विरोध करता है और ताइवान की रक्षात्मक क्षमताओं को बनाए रखने में मदद करता है।
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