Afghanistan Hunger Crisis: यूक्रेन (Ukraine) और रसिया (Russia) के बीच युद्ध चल रहा है। युद्ध को आज 7 दिन हो गए हैं। इस बीच बंदूक की नोक पर अफगानिस्तान से वहां के राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashraf Ghani) को भगाने वाले तालिबान (Taliban) ने रसिया और यूक्रेन से शांति की अपील की है। हाल ही में तालिबान ने बयान जारी कर कहा था कि दोनों देश युद्ध को छोड़ बातचीत के टेबल पर आएं। दुनिया को शांति का संदेश देने वाले तालिबान के देश में जनता भुखमरी का शिकार हो रह है। लोग अपने बच्चे और किडनी तक बेचने के लिए मजबूर हैं। United Nations World Food Programme का कहना है कि अफगानिस्तान में 9 में से हर 8वां इंसान भूखा सो रहा है।
Afghanistan में बढ़ती भुखमरी
वहीं यूएन के विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी डायरेक्टर डेविड बेस्ली (David Beasley) ने 27 अक्तूबर 2021 में बताया था कि, अफगानिस्तान की कुल 3 करोड़ 90 लाख की आबादी में से अभी करीब 2 करोड़ 28 लाख लोग गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। वहां पर 97 फीसदी जनता गरीबी रेखा के नीचे जी रही है। Telegraph Global Health Security की रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान में अब लोग दो वक्त के खाने के लिए किडनी तक बेच रहे हैं। शुरू शुरू में लोग अपने बच्चों को 1,000-500 में बेच रहे थे। पर पेट में उठती भूख की अग की लपटों को बुझाने के लिए जनता अपने शरीर के अंग को बेच रही है।
अफगानिस्तान की जनता अपने बच्चों का पेट भरने के लिए भीख मांग रही है। कुछ लोग किडनी बेचने के लिए खरीदार की तलाश कर रहे हैं। UNHCR Afghanistan द्वारा मिली खबर के अनुसार अफगानिस्तान की सड़के भीख मांगने वाले बच्चों से भरी है। बच्चे कूड़ेदान में खाना खोज रहें हैं। साथ ही वे काम की तलाश भी कर रहे हैं ताकि अपना और परिवार का पेट भर सकें।
Afghanistan में कितने में मिल रहे हैं किडनी डोनर
अफगानिस्तान के पश्चिमी शहर में किडनी बेचने का चलन सबसे अधिक हो गया है। यहां पर स्थित गांव को किडनी गांव नाम दे दिया गया है। देश में तालिबान के सत्ता में आने के बाद लोग $3,500 से $4,000 (£2,600 to £3,000), $1,500 (£1,100) में किडनी बेच रहे हैं। वहां के लोगों का कहना है कि अगर किडनी खरीदने वाला नहीं मिलेगा तो हमे खाने के लिए अपने बच्चों को बेचना होगा।
जाहिर है अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही नाजुक दौर से गुजर रही थी। अब हालात और भी अधिक खराब है। यहां पर ज्यादातर मदद विदेश से आती थी लेकिन अब वो भी नहीं मिलती है। विश्व बैंक के अनुसार, अफगानिस्तान के मामले में जीडीपी का 40 फीसदी विदेशी मदद से पूरा होता है। तालिबान के राज के बाद जर्मनी, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों समेत सबने फंडिंग बंद कर दी है।
Afghanistan में रोजगार का बुरा हाल
तालिबान राज में सबसे बुरा हाल रोजगार को लेकर है। अफगानिस्तान में दफ्तरों पर ताले लग रहे हैं। बैंक बंद होने के कगार पर हैं। काबुल से कंधार तक लोग अपने घरों के टीवी, फ्रिज, पलंग, सोफा बेचकर गुजर बसर कर रहे हैं। इतना ही नहीं पेट भरने के लिए अफगानी नागरिक अपने जिगर के टुकड़ों को भी बेच रहे हैं।
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