ब्राजील में रविवार को राष्ट्रपति पद के लिए हुए दुसरे चरण के चुनाव मतदान की गिनती में वामपंथी ‘वर्कर्स पार्टी’ के लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा (Luiz Inácio Lula da Silva) ने निवर्तमान राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो (Jair Bolsonaro) को हरा दिया. ब्राजील के निर्वाचन प्राधिकरण ने रविवार को जानकारी देते हुए बताया कि आम चुनाव में पड़े कुल मतों में से 98.8 प्रतिशत मतों की गिनती के अनुसार, लूला डा सिल्वा को 50.90 फीसदी और जायर बोलसोनारो को 49.10 फीसदी मत मिले.
इन चुनावों के साथ ही बोलसोनारो इतिहास में 30 सालों में देश के पहले ऐसे राष्ट्रपति हैं जो दोबारा राष्ट्रपति नहीं बन सके हैं. सन् 1990 से बोलसोनारो से पहले ब्राजील में जितने भी राष्ट्रपति बने उन्हें दोबारा पद के लिए चुना गया था. जायर बोलसोनारो देश के सबसे विवादित राष्ट्रपति भी रहे हैं.
2003 और 2010 के बीच लगातार दो बार ब्राजील पर शासन करने के बाद यह Lula Da Silva का राष्ट्रपति के तौर पर तीसरा कार्यकाल होगा. लूला डा सिल्वा को 2022 के इस चुनाव में 6 करोड़ से अधिक वोट मिले हैं, जो ब्राजील के इतिहास में सबसे अधिक है. लूला ने 2006 के चुनाव मे मिले सबसे ज्यादा वोटों के अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ दिया है.
30 अक्टूबर को ब्राजील में राष्ट्रपति चुनाव के लिए दूसरे चरण का मतदान हुआ था. ब्राजील के संविधान के मुताबिक, चुनाव जीतने के लिए किसी भी उम्मीदवार को कम से कम 50 फीसदी वोट हासिल करने होते हैं. पिछले महीने हुई पहले चरण के मतदान में लूला को 48.4 फीसदी, जबकि बोल्सोनारो को 43.23 फीसदी वोट मिले थे.
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जीत का महीन अंतर
लूला के समर्थकों द्वारा भारी मतदान के बावजूद, उनकी जीत बड़े ही कम अंतर से हुई – ब्राजील के चुनाव आयोग के अनुसार, लूला दा सिल्वा को 50.90 फीसदी वोट मिले ओर वो चुनाव जीत गए वहीं निवर्तमान राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो को 49.10 फीसदी वोट मिले ओर वो चुनाव हार गए.
सजा भी हो चुकी है
76 वर्षीय लूला की जीत ब्राजील में वामपंथियों की सत्ता में वापसी का प्रतिनिधित्व करती है, और भ्रष्टाचार के कई आरोपों के बाद 580 दिनों की सजा काटने के बाद, लूला दा सिल्वा की जीत एक बड़ा सियासी संदेश है. हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सजा को रद्द कर दिया गया, जिससे उनके दौबारा से चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया था.
चुनाव जीतने के बाद क्या बोले लूला
रविवार शाम समर्थकों और पत्रकारों को दिए गए एक उत्साहजनक भाषण में लूला ने कहा कि “उन्होंने मुझे जिंदा शहीद करने की कोशिश की लेकिन आप देख सकते हैं मैं यहां हूं.” लूला ने अपनी जीत को उनका राजनीतिक “पुनरुत्थान” बताया है.
लूला ने आगे कहा कि “1 जनवरी, 2023 से, मैं 215 मिलियन (21.5 करोड़) ब्राजीलियाई लोगों के लिए शासन करूंगा, न कि केवल मेरे लिए मतदान करने वालों के लिए. दो ब्राजील नहीं हैं. हम एक देश, एक लोग, एक महान राष्ट्र हैं.”
“उन्होंने मुझे जिंदा दफनाने की कोशिश की और मैं यहां हूं,” उन्होंने रविवार शाम समर्थकों और पत्रकारों के लिए एक उत्साहजनक भाषण में कहा, जीत को उनका राजनीतिक “पुनरुत्थान” बताया.
वे मुद्दे जिनका करना होगा सामना
लूला ऐसे समय मे ब्राजील की कमान संभालेंगे जब देश घोर असमानता से त्रस्त है ओर अभी भी कोविड -19 महामारी से उबरने के लिए संघर्ष कर रहा है. ब्राजील में 2019 से 2021 के बीच लगभग 9.6 मिलियन (96 लाख) लोग गरीबी रेखा के नीचे आ गए और साक्षरता और स्कूल में उपस्थिति की दर में भी गिरावट आई है. लूला को पर्यावरणीय मुद्दों (Environmental Issues) का भी सामना करना पड़ेगा, जिसमें अमेजन में बड़े पैमाने पर हो रही वनों की कटाई भी शामिल है.
कौन हैं लूला डा सिल्वा
Workers’ Party (मजदूरों का दल) लूला डा सिल्वा 2003 से 2010 के दौरान ब्राजील के राष्ट्रपति रह चुके हैं. लूला डा सिल्वा (77) को 2018 में भ्रष्टाचार के मामले में कैद की सजा सुनाई गई थी, जिस वजह से उन्हें उस साल चुनाव में दरकिनार कर दिया गया था. इस कारण, तत्कालीन उम्मीदवार बोलसोनारो की जीत का मार्ग प्रशस्त हुआ था.
लूला गहरी गरीबी में पले-बढ़े. वे ब्राजील के उत्तरपूर्वी राज्य पेरनामबुको के अनपढ़ किसान के एक परिवार में पैदा हुए आठ बच्चों में से सातवें थे. जब वह सात साल के थे, तो उनका परिवार साओ पाउलो में औद्योगिक गढ़ में हो रहे बड़ी संख्या में प्रवास की लहर में शामिल होकर साओ पाउलो आ गया.
लूला ने 14 साल की छोटी उम्र में मेटलवर्कर बनने से पहले जूता पालिश करने और मूंगफली बेचने का भी काम किया. 1960 के दशक में काम के दौरान हुई एक दुर्घटना में लूला की एक उंगली भी कट गई थी. इसके बाद वह अपने ट्रेड यूनियन के प्रमुख बनने के लिए तेजी के साथ आगे बढ़े, और 1970 के दशक में ब्राजील में हुई प्रमुख हड़तालों का नेतृत्व किया जिसने तत्कालीन सैन्य तानाशाही को सीधे तौर पर चुनौती दी. 1980 में वह वर्कर्स पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे. वर्कर्स पार्टी ने 1989 के राष्ट्रपति पद के चुनावों में पहली बार उम्मीदवार उतारा था.
लूला ने 1989 से 1998 तक तीन बार राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा लेकिन वो हार गए. अंत में 2002 में वो पहली बार राष्ट्रपति का चुनाव जीतने में कामयाब हुए.
डा सिल्वा को अपने 2003-2010 के कार्यकाल के दौरान एक व्यापक सामाजिक कल्याण कार्यक्रम के निर्माण का श्रेय दिया जाता है, जिसने लाखों लोगों को गरीबी से मध्यम वर्ग में आने में मदद की.
लूला को 2017 में सरकारी तेल कंपनी पेट्रोब्रास में व्यापक “ऑपरेशन कार वॉश” जांच से उपजे आरोपों पर भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए दोषी ठहराया गया था. लेकिन दो साल से कम समय की सजा के बाद, सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश ने मार्च 2021 में लूला की सजा को रद्द कर दिया, जिससे उनका छठी बार राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया.
76 वर्षीय लूला ने बोल्सोनारो को पद से हटाने के अभियान पर ध्यान केंद्रित करते हुए पूरे अभियान में अपनी पिछली उपलब्धियों को गिनाया. उनके अभियान में एक नई कर व्यवस्था (New Taxation System) का वादा था, जो ज्यादा सार्वजनिक खर्च की अनुमति देगा. इसके साथ ही उन्होंने ब्राजील से भुखमरी खत्म करने का संकल्प लिया, जो बोल्सोनारो सरकार के दौरान एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी थी.
लूला 2022 में 6वीं बार राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ रहे थे, जिसमें उन्हें जीत मिली. उन्होंने पहली बार 1989 में राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा था. ये तीसरी बार होगा जब लूला राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे. इसके पहले वो 2003 से 2010 के बीच दो बार राष्ट्रपति चुने गए थे. राजनीति में आने से पहले वो एक फैक्ट्री में काम करते थे.
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जायर बोल्सोनारो
ब्राजील के मौजूदा राष्ट्रपति 67 वर्षीय जायर बोल्सोनारो कंजर्वेटिव लिबरल पार्टी के तहत फिर से चुनावी दौड़ में थे. उन्होंने खनन बढ़ाने, सार्वजनिक कंपनियों का निजीकरण करने और ऊर्जा की कीमतों को कम करने के मुद्दे पर अपने चुनावी अभियान केंद्रित किया था.
ब्राजील का ये चुनाव साल 1985 में हुए चुनाव के बाद से पहला ऐसा चुनाव था जिसमें सबसे ज्यादा ध्रुवीकरण हुआ. सैन्य तानाशाही के बाद से यह पहला मौका था जहां पर एक पूर्व यूनियन नेता लूला ने बोलसोनारो के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था.
भारत को बोल चुके हैं धन्यवाद
साल 2020 में कोरोना महामारी के दौरान बोलसोनारो ने मलेरिया की दवाई हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन मुहैया कराने के लिए भारत का शुक्रिया बोला था. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी चिट्ठी में उन्होंने कहा था कि जैसे लक्ष्मण की जान बचाने के लिए हनुमान जी संजीवनी लाये थे वैसे ही भारत ने ब्राजील की मदद की है. इसके बाद जब साल 2021 की शुरुआत में भारत ने कोरोना वायरस वैक्सीन की 20 लाख खुराक भेजी थीं तो भी उन्होंने भगवान हनुमान की संजीवनी बूटी लेकर जाते हुए तस्वीर ट्वीट कर भारत को थैंक्यू कहा था.