भारत के इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने 2 जनवरी 2023 को ऑनलाइन गेमिंग (Online Gaming) के नियमों को लेकर एक मसौदा (Draft) जारी किया है। मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित नियमों को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता – Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) Rules, 2021) नियम 2021 में संशोधन के रूप में पेश किया गया है। इन प्रस्तावित नियमों को लेकर 17 जनवरी 2023 तक लोगों और संस्थानों से सुझाव मांगे गये हैं।
इससे पहले केंद्र सरकार ने 26 दिसंबर, 2022 को एक राजपत्र अधिसूचना के जरिये भारत (India) में ऑनलाइन गेमिंग संबंधित सभी चिंताओं के लिए इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को नोडल मंत्रालय के रूप में नामित किया था। इसके साथ ही मंत्रालयों को होने वाले व्यापार नियमों के आवंटन में संशोधन को अधिसूचित किया।
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क्या है नये Online Gaming नियमों में?
स्व-नियामक निकाय (Self Regulatory Body)
मंत्रालय द्वारा जारी किए गए ड्राफ्ट के अनुसार भारत में ऑनलाइन खेलों को चलाने वाली कंपनियों को एक स्व-नियामक निकाय के साथ पंजीकृत (Registration) करना होगा। इसके साथ ही कहा गया है कि, निकाय (Self Regulatory Body) द्वारा कंपनियों को भारत में कानूनी रूप से स्वीकृत खेलों को ही संचालित करने की मंजूरी मिलेगी।
नियमों के मसौदे में लिखा गया है कि स्व-नियामक निकाय में ऑनलाइन गेमिंग (Online Gaming), सार्वजनिक नीति (Public Policy), सूचना प्रौद्योगिकी (Information & Technology), मनोविज्ञान और चिकित्सा (Psychology and Health) सहित अन्य क्षेत्रों के पांच सदस्यों का एक निदेशक मंडल होगा। हालांकि, नियमों में स्व-नियामक निकाय की संख्या एक या उससे अधिक होने का बारे में भी लिखा गया है।
मंत्रालय ने कहा है कि सभी स्व-नियामक निकायों को पंजीकरण के मानदंडों के बारे में विस्तार से बताने वाली एक रिपोर्ट के साथ केंद्र सरकार को उन खेलों के बारे में सूचित करना होगा जिन्हें उन्होंने मंजूरी दी है।
ज्यादा सावधानी
नये और विस्तृत नियमों में कहा गया है कि ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत होगी, जिसमें यूजर्स के बारे में जानने (Know Your Customer – KYC), सब्सक्रिप्शन से पारदर्शी वापिस निकलना (Transparent Withdrawal) और इसके साथ ही पैसे की वापसी को अलावा खेल संबंधी उचित वितरण भी शामिल है।
KYC को लेकर कहा गया है कि गेमिंग कंपनियों को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा विनियमित की जा रही संस्थाओं (जैसे PayTm, PhonePe, Google Pay आदि) के लिए तय किए गए निर्धारित मानदंडों का पालन करना होगा।
रैंडम नंबर जनरेशन सर्टिफिकेट को लेकर भी दी गई जानकारी
गेमिंग कंपनियों को एक रैंडम नंबर जनरेशन सर्टिफिकेट भी अपनी मोबाईल ऐप या फिर ब्राउजर पर प्रकाशित करना होगा। रैंडम नंबर जनरेशन सर्टिफिकेट आमतौर पर उन प्लेटफॉर्म का प्रयोग यह सुनिश्चित करने के लिये किया जाता है कि कार्ड गेम की पेशकश करते समय गेम का रिजल्ट सांख्यिकीय रूप से ठीक है और इसमें कोई भेदभाव नही किया गया है। इसके अलावा बरगलाने और फेक यूजर्स की संख्या से निपटने के लिए एक प्रतिष्ठित प्रमाणित निकाय से “नो बॉट सर्टिफिकेट” भी गेमिंग कंपनियों को लेना होगा। इसके अलावा ड्राफ्ट में कहा गया है कि ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को खेलों के रिजल्ट पर सट्टा लगाने की भी मंजूरी नहीं दी जाएगी।
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अनुपालन अधिकारी की करनी होगी नियुक्ति
ड्राफ्ट रूल्स में कहा गया है कि सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स कंपनियों की तरह यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्लेटफॉर्म (गेमिंग कंपनी) मानदंडों का पालन कर रहा है, या नहीं, के लिए एक अनुपालन अधिकारी (Grievances Officer) को नियुक्त करना होगा। ये अधिकारी भारत सरकार के साथ संपर्क अधिकारी के रूप में काम करेगा और कानून को लागू कराने वाली एजेंसियों (Law Enforcement Agencies) की सहायता करने के साथ ही एक शिकायत अधिकारी के तौर पर यूजर्स की शिकायतों का समाधान करेगा।
क्यों पड़ी जरूरत?
मसौदे को जारी करने के बाद भारत के इलेक्ट्रॉनिकी और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने इस प्रस्तावित प्रारूप पर पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि “भारत में लगभग 40 से 45 फीसदी गेमर्स (खिलाड़ी) महिलाएं हैं और इसलिये गेमिंग इकोसिस्टम को सुरक्षित रखना और भी महत्त्वपूर्ण था।”
भारत सरकार द्वारा ऑनलाइन गेमिंग को लेकर ये नियम इसलिए भी तैयार किये गये हैं क्योंकि मौजूदा समय में भारत में ऑनलाईन गेम्स को लेकर कोई ठोस नियम नहीं होने के कारण राज्य सरकारें इन्हे अपने हिसाब से परिभाषित करती हैं जो भारत के गेमिंग उद्योग के लिये एक बड़ी चुनौती थी। इसके पिछे ये तर्क दिया जा रहा था कि अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग कानून होने से गेमिंग कंपनियों को समस्या पैदा हो रही थी।
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कितना बड़ा भारत का गेमिंग उद्योग?
भारतीय मोबाइल गेमिंग उद्योग की आय वर्ष 2022 में 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर (12,500 करोड़ रुपये) से अधिक होने की उम्मीद थी जिसे वर्ष 2025 में बढ़कर 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर (40,000 करोड़ रुपये) तक पहुंचने का अनुमान जताया जा रहा है।
भारत में ऑनलाईन गेमिंग का उद्योग वर्ष 2017-2020 के बीच 38 फीसदी की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (Compound annual growth rate- CAGR)से बढ़ा, जबकि चीन में 8 फीसदी और अमेरिका में मात्र 10 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई थी।
यूजर्स में भी लगातार हो रही है बढ़ोतरी
भारत में भुगतान करने वाले नए गेमिंग यूजर्स (NPUs) की संख्या पिछले दो वर्षों से लगातार सबसे तेज गति से बढ़ रही है जो वर्ष 2020 में 40 फीसदी और वर्ष 2021 में 50 फीसदी तक पहुंच गई। इसका अर्थ ये हुआ की कि भारत में से हरेक 100 गेमिंग यूजर्स में से 50 पैसे देकर गेम खेल रहे हैं।
Ernest & Young – FICCI (फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लेनदेन-आधारित (Transaction Based) गेम के राजस्व में 26 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है और भुगतान करने वाले गेमर्स की संख्या 17 फीसदी बढ़कर वर्ष 2020 के 8 करोड़ के मुकाबले वर्ष 2021 में 9.5 करोड़ हो गई है।
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