Shiv Sena: महाराष्ट्र की राजनीति में धाक रखने वाली शिवसेना में अभी सियासी हलचल थमने का नाम नहीं लेता दिख रहा है। शिवसेना को लेकर पहले ही दो गुटों में बंटे सीएम एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे में आय दिन सियासी लड़ाइयां तेज होती जा रही है। वहीं, इसमें उद्धव ठाकरे जहां एक ओर लगातार निराशा झेल रहे हैं वहीं, दूसरी ओर शिंदे को मजबूती मिलते जा रही है। उद्धव ठाकरे की पार्टी उद्धव बालासाहेब ठाकरे(यूबीटी) को हाल ही में चुनाव आयोग से निराशा हासिल हुई थी। उद्धव की पूरानी पार्टी का नाम व चुनाव निशान छिन जाने के बाद से अब उनका संसद का दफ्तर भी छिन गया है।
Shiv Sena: शिंदे गुट ने ऑफिस पर किया था दावा
मिली जानकारी के अनुसार, संसद भवन में स्थित शिवसेना के दफ्तर को लेकर शिदें गुट ने अपना दावा किया था। चुनाव आयोग ने पहले ही उद्धव ठाकरे से उनकी पूरानी पार्टी का नाम यानी ‘शिवसेना’ को आधिकारिक रूप से सीएम एकनाथ शिंदे की पार्टी को दे दिया है। वहीं, उसके बाद से शिवसेना का चुनाव निशान धनुष-बाण भी शिंदे की पार्टी को दे दिया गया।
इसके बाद से उद्धव गुट के हाथों काफी निराशा लगी। अब उद्धव से संसद का दफ्तर भी छिन गया है। चुनाव आयोग के फैसले को देखते हुए संसद में शिवसेना के दफ्तर को शिंदे गुट को दे दिया गया है। अब इस ऑफिस पर उद्धव गुट का कोई अधिकार नहीं होगा। मिली जानकारी के अनुसार, संसद के इस दफ्तर पर सीएम एकनाथ शिंदे के गुट ने अपना दावा किया था।
हालांकि, महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने सोमवार को कहा था “हम किसी भी पार्टी की संपत्ति पर कोई दावा नहीं करेंगे, क्योंकि हम बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा के उत्तराधिकारी हैं और हमें कोई लालच नहीं है।”
चुनाव आयोग से निराश तो सुप्रीम कोर्ट से उद्धव गुट को आस
महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे के हाथों से लगातार एक के बाद एक चीजें छिनती हुई नजर आ रही हैं। पार्टी नाम, चुनाव चिन्ह के बाद उद्धव गुट से अपने उनके संसद भवन में आवंटित दफ्तर को भी छिन लिया गया है और इसे एकनाथ शिंदे की पार्टी के नाम ‘शिवसेना’कर दिया गया है।
वहीं, इस बीच चुनाव आयोग से निराशा मिलने पर उद्धव ठाकरे गुट ने आयोग के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि चुनाव आयोग ने इस निष्कर्ष पर पहुंचने में गलती की। दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्य ठहराने और चुनाव संबंधी कार्यवाही अलग-अलग मामले हैं और विधायकों की अयोग्यता राजनीतिक दल की सदस्यता समाप्त करने पर आधारित नहीं है। वहीं, कोर्ट इस मामले में बुधवार 22 फरवरी को सुनवाई करेगा।
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