Varanasi के मूर्तिकारों ने प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश सरकार से अपने व्यवसाय को फिर से खड़ा करने के लिए जरूरी कदम उठाने की अपील की है। स्टोनआर्ट का व्यापार करने वाले एक व्यक्ति ने कहा कि हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि हमें कम दरों पर बिजली दी जाए। Mahoba Mine, जिसे बंद कर दिया गया है। वहां से हमें सस्ते पत्थर मिलते थे, उसको फिर से खोला जाना चाहिए।

स्टोन कार्विंग के कारोबार से जुड़े वाराणसी के कारीगरों, व्यवसायियों और मजदूरों ने सरकार से यह भी अनुरोध किया है कि वे अपनी मजदूरी में वृद्धि करें ताकि उनकी आजीविका में सुधार हो सके। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकसभा सीट है।
Varanasi में स्टोन कार्विंग करने वालों की संख्या घटी
वाराणसी में लगभग तीन से चार हजार परिवार स्टोन कार्विंग (पत्थर पर नक्काशी) के व्यवसाय से जुड़े थे, जिनकी संख्या अब घटकर 300 से 250 परिवारों तक रह गई है। स्टोन कार्विंग वाराणसी के रानीपुर, माधवपुर, सुदामापुर, रामनगर, संकुलधारा, पोखरा क्षेत्रों में की जाती है।
वर्तमान में इस व्यापार की मुख्य कमी मजदूरी है और इसी कारण न तो कारीगर और न ही व्यापारी कोई लाभ कमा पा रहे हैं। लोगों का कहना है कि मोदी सरकार स्टोन आर्ट को बढ़ावा देने के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम चला रही है लेकिन इसके साथ ही उन्हें बिजनेस को फिर से पटरी पर लाने के लिए भी कदम उठाने की जरूरत है।
हम नहीं कमा रहे हैं पर्याप्त लाभ: जय सिंह
वाराणसी के रानीपुर इलाके में रहने वाले और लंबे समय से स्टोन आर्ट बिजनेस से जुड़े जय सिंह ने कहा, ‘मैं इस बिजनेस को आगे ले जाने की पूरी कोशिश करता हूं। इसके लिए मैं इनोवेटिव आइडिया का इस्तेमाल करता हूं। मैंने धूल रहित हाथी, chessboards बनाए हैं। इसके अलावा मैं अपने कारीगरों को भी सुविधाएं देने का भी प्रयास कर रहा हूं। लेकिन इसके लिए हम पर्याप्त लाभ नहीं कमा रहे हैं।”

उन्होंने आगे यह भी कहा कि पत्थर तराशने के लिए बिजली बहुत जरूरी है और मुनाफा कमाने के लिए सरकार को पत्थर तराशने वालों को बुनकरों के बराबर बिजली देनी चाहिए।