Buxar Protests: केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने तोड़ा मौन व्रत, काफिले पर पत्थरबाजी से थे दुखी

बक्सर में हालात तब हिंसक हो गए जब किसानों के परिवारों ने आधी रात को पुलिस द्वारा उनके घरों में घुसकर सोते हुए उनकी बेरहमी से पिटाई करने के वीडियो साझा किए। वीडियो में पुरुषों और महिलाओं को मदद के लिए चिल्लाते हुए सुना जा सकता है।

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Buxar Protests
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Buxar Protests: बिहार के बक्सर में गुरुवार को केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के काफिले पर पथराव किया गया। प्रदर्शनकारियों ने मंत्री के खिलाफ नारेबाजी भी की। इस घटना से दुखी होकर मंत्री ने मौन व्रत उपवास रखा था, जिसे शनिवार को उन्होंने तोड़ा। दरअसल, एसजेवीएन पावर प्लांट के लिए अपनी जमीन के अधिग्रहण के लिए उचित मुआवजे की मांग को लेकर बक्सर में किसान लगभग तीन महीने से धरने पर बैठे हैं। राज्य पुलिस की आधी रात की छापेमारी के बाद बुधवार को विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया था।

प्रदर्शनकारियों ने वाहनों में लगा दी थी आग

गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने इलाके में एसजेवीएन थर्मल पावर प्लांट कार्यालय के बाहर कई वाहनों में आग लगा दी। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वैन और अन्य सरकारी वाहनों में भी तोड़फोड़ की और आग लगा दी। हिंसक विरोध के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे गुरुवार को प्रदर्शनकारी किसानों से बातचीत करने बक्सर पहुंचे। कुछ देर बात करने के बाद वहां जमा भीड़ उग्र हो गई और पथराव शुरू कर दिया। इस घटना में मंत्री चौबे बाल-बाल बचे थे।

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“राम भगवान बिहार सरकार को सद्बुद्धि दें”

घटना के बाद केंद्रीय मंत्री ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि अध्यात्म व धर्म की नगरी बक्सर में किसानों पर हुई पुलिस की बर्बरता, बिहार सरकार की दमनकारी नीतियों तथा श्री रामचरितमानस ग्रंथ के अपमान से वे अत्यंत दुखी हैं। प्रभु श्रीराम बिहार सरकार को सद्बुद्धि दें। किसानों व युवाओं पर अत्याचार बंद हो।

बक्सर में हिंसा

गौरतलब है कि बक्सर में हालात तब हिंसक हो गए जब किसानों के परिवारों ने आधी रात को पुलिस द्वारा उनके घरों में घुसकर सोते हुए उनकी बेरहमी से पिटाई करने के वीडियो साझा किए। वीडियो में पुरुषों और महिलाओं को मदद के लिए चिल्लाते हुए सुना जा सकता है। अगले दिन गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने एसजेवीएन थर्मल पावर प्लांट कार्यालय के बाहर कई वाहनों में आग लगा दी और पुलिस वाहनों में तोड़फोड़ की। बताते चले कि भूमि अधिग्रहण 2010-11 से पहले हुआ था और किसानों को प्रचलित राशि के अनुरूप समय पर मुआवजा दिया गया था। हालांकि, जब कंपनी ने पिछले साल अधिक भूमि का अधिग्रहण करना शुरू किया, तो किसानों ने मौजूदा दर के अनुसार मुआवजा देने की मांग की।

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