तीन दिन बाद यानी की 20 अगस्त को मुहर्रम है इसके साथ ही इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना आरंभ हो जाएगा। मुहर्रम के कारण बाजारों में खासा भीड़ लगी हुई है। इस बार का मुहर्रम हर बार की तरह खास नहीं होगा। कोरोना काल के कारण ताजिया जुलूस पर बैन लगा दिया गया है।

वहीं बिहार सरकार ने मुहर्रम को ध्यान में रखते हुए कोरोना गाइडलाइंस जारी कर दी हैं। इस मुद्दे को लेकर मंगलवार को मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण की अध्यक्षता में वर्चुअल बैठक की गयी। बैठक में बिहार सरकार के विकास आयुक्त, अपर मुख्य सचिव गृह विभाग, अपर पुलिस महानिदेशक (निगरानी), अपर पुलिस महानिदेशक (विधि), सभी प्रमंडलीय आयुक्त, सभी पुलिस महानिरीक्षक, सभी पुलिस उप महानिरीक्षक, जिलाधिकारी, वरीय पुलिस अधीक्षक व पुलिस अधीक्षक उपस्थित थे। 

इस दौरान लोगों से कहा गया कि कोविड को देखते हुये ताजिया जुलूस निकालने पर पाबंदी रहेगी। किसी तरह के जुलूस नहीं निकाला जायेगा। साथ ही इस दौरान लोग अपने घरों में व करबला में पांच से कम की संख्या में जाकर अपना धार्मिक कार्य कर सकते है।

देशभर में मुस्लिम समाज मुहर्रम की तैयारी कर रहा है लेकिन जुलूस न निकालने के कारण इनक चेहरे पर उदासी छाई है। वहीं उत्तर प्रदेश में भी कोरोना गाइडलाइंस के तहत जुलूस निकालने पर पाबंदी लगा दी गई है। कई मौलानाओं ने योगी सरकार के इस फैसले पर नाराजगी जाहिर की है।

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क्या है मुहर्रम ?

अरबी में मुहर्रम का मतलब होता है गम यानी शोक का महीना। मुसलमान रमजान के बाद उसे दूसरा पवित्र महीना मानते हैं। साल के चार पवित्र महीनों में से ये एक है जब लड़ाई मना हो जाती है। साल 2021 के अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक, चांद के दिखने पर नए इस्लामी साल की शुरुआत 9 अगस्त से हो सकती है. ये इस्लामी साल 1443 हिजरी होगा।

बता दें कि, इस्लामी कैलेंडर की शुरुआत वर्ष 622 में हुई, जब पैगम्बर मुहम्मद और उनके साथी मक्का से मदीना जा बसे। मदीना पहुंचने पर पहली बार मुस्लिम समुदाय की स्थापना की गई, ये एक घटना थी जिसे हिजरी यानी प्रवास के रूप में मनाया जाता है।

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