Bengal Violence: बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हिंसा मामले के आरोपी एसके सुपियन को सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत दे दी है। एसके सुपियन तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के चुनाव एजेंट हैं। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की पीठ ने सुपियन को राहत देते हुए कई शर्तें लगाईं हैं। टीएमसी नेता सुपियन पर विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद नंदीग्राम के चिलोग्राम में भारतीय जनता पार्टी के समर्थक देवव्रत मैती की हत्या करने का आरोप लगाया गया था।
Bengal Violence: सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा था सुरक्षित
सुप्रीम कोर्ट ने एसके सुपियन को अग्रिम जमानत देते हुए कहा कि उसने कई शर्तें लगाई हैं। निर्णय अपलोड होने के बाद आदेश का विवरण उपलब्ध होगा। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) नंदीग्राम निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा कार्यकर्ता की हत्या की जांच कर रहा है, जो पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी के मई 2021 में राज्य विधानसभा चुनाव जीतने के बाद हुई हिंसा के दौरान हुई थी। बता दें कि इससे पहले 4 फरवरी को, सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि सुपियन एक भाजपा कार्यकर्ता की हत्या के मामले में जांच से भाग रही है।
Bengal Violence: कलकत्ता हाईकोर्ट ने किया था जमानत याचिका खारिज
बता दें कि एसके सुपियन की याचिका का विरोध सीबीआई ने किया था। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव बाद हुई हिंसा एक सुनियोजित राजनीतिक साजिश थी। सीबीआई ने कहा कि इसकी सच्चाई सामने लाने के लिए याचिकाकर्ता एसके सुपियान को गिरफ्तार करने और उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करने की आवश्यकता है।
गौरतलब है कि ममता बनर्जी की सरकार को करारा झटका देते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय की पांच जजों की बेंच ने सुपियन की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी और मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था। इसके अलावा कलकत्ता हाई कोर्ट ने हिंसा की घटनाओं की जांच के लिए एसआईटी के गठन का भी आदेश दिया था। अब इस मामले मे ममता बनर्जी के चुनाव एजेंट को राहत मिल गई है।
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