Amrapali Home Buyers Case: आम्रपाली होम बायर्स मामले में आम्रपाली के पूर्व निदेशक शिव प्रिया को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली के पूर्व निदेशक शिव प्रिया की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह राहत दी है कि निचली अदालत एक महीने के भीतर शिव प्रिया की जमानत अर्जी का निपटारा करे।
शिव प्रिया ग्राहकों से धोखाधड़ी मामले में जेल में बंद हैं
दरअसल आम्रपाली के पूर्व डायरेक्टर शिव प्रिया ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर जमानत की मांग की थी।
शिव प्रिया ग्राहकों से धोखाधड़ी मामले में लंबे समय से जेल में बंद हैं। बता दें कि 23 जुलाई, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली रियल एस्टेट मामले में अपना फैसला सुनाया था। जिसके बाद 16 प्रोजेक्ट्स के 40,000 से अधिक घर खरीदारों ने राहत की सांस ली थी।
SC ने आम्रपाली के प्रमोटरों को हटा दिया था
2019 के फैसले में, SC ने कंपनी के प्रमोटरों को हटा दिया और जेल की सजा सुनाई थी। इसके बाद कंपनी के दिन-प्रतिदिन के मामलों का प्रबंधन करने के लिए वरिष्ठ वकील आर वेंकटरमनी को नियुक्त किया गया था। जबकि अदालत ने NBCC को अधूरे फ्लैटों को पूरा करने का निर्देश दिया। वेंकटरमनी को यह सुनिश्चित करना था कि कंपनी के सभी बकाया खरीदारों और अन्य हितधारकों से राशि ली जाए जिससे रुके हुए प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए एनबीसीसी के पास पर्याप्त धन हो।
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एनबीसीसी फ्लैट तैयार करके सौंप रही है
वहीं, कोर्ट रिसीवर के निर्देशन में काम कर रही एनबीसीसी फ्लैट तैयार करके कोर्ट रिसीवर को सौंप रही है। इनका पजेशन देने की प्रक्रिया जारी है। इसके अलावा 1000 फ्लैट 31 दिसंबर तक देने का टारगेट और रखा गया है जिनमें इन दिनों तेजी से काम चल रहा है।
2 हजार करोड़ से भी ज्यादा फंड की व्यवस्था पिछले दिनों हो गई है जिसके चलते अगले एक साल तक तेजी से काम करने में एवबीसीसी के सामने दिक्कत नहीं आएगी। आगे के फंड की व्यवस्था के लिए बायर्स से बकाया जमा कराया जा रहा है और आम्रपाली की प्रॉपर्टी बेचने की प्रक्रिया जारी है। अब देखना यह है कि आगे कितना फंड जमा हो पाता है।
अब दिसंबर तक 1000 बायर्स को और फ्लैट तैयार करके देने की तैयारी है। आम्रपाली के अधूरे प्रॉजेक्टों को कोर्ट रिसीवर के निर्देशन में एनबीसीसी को करीब तीन साल में पूरा करके देना था लेकिन शुरुआत के दो साल पर कोरोना का प्रभाव रहने व फंड को लेकर कई तरफ की दिक्कतें होने की चलते काम धीमी गति से हुआ है जिसकी भरपाई अब आगे के बचे हुए समय पर पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है।