Allahabad HC: बढ़ा मुआवजा मिलने में हो रही देरी से कोर्ट नाराज, सचिव राजस्‍व से मांगा हलफनामा

Allahabad HC: कोर्ट ने कहा कि उस आदेश में यह भी कहा गया था कि ऐसा न कर सकने पर सचिव राजस्व इसके लिए जिम्मेदार होंगे। हाईकोर्ट ने कहा कि आदेश पारित हुए चार माह से अधिक हो गया इसके बावजूद कोर्ट में याचिकाएं आ रही हैं।

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Allahabad HC: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण के मामले में बढ़ा मुआवजा की मांग में दाखिल अर्जियों को निपटाने में की गई देरी पर नाराजगी जाहिर की।
हाईकोर्ट ने सचिव राजस्व से इस संबंध में 10 मई से पहले हलफनामा मांगा है। कहा है कि यदि उनका हलफनामा संतोषजनक नहीं पाया गया, तो अदालत उनके खिलाफ कोर्ट के आदेश की अवमानना की प्रक्रिया शुरू करेगी।ये आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने बुलंदशहर के राजवीर सिंह वह कई अन्य किसानों की तरफ से दाखिल याचिका पर पारित किया है।

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Allahabad HC: धारा 28 ए के तहत दी थी अर्जी

याचिका में किसानों का कहना है कि दशकों पहले एक ही अधिसूचना से अधिग्रहित उनकी जमीन का बढ़ा हुआ मुआवजा पाने के लिए विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी के समक्ष धारा 28 ए की अर्जी दी थी।

आज तक उसका निस्तारण नहीं किया जा सका। जबकि सरकार की तरफ से अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता रामानंद पांडेय ने कोर्ट को बताया कि 28 ए की अर्जी तभी दाखिल की जा सकती है, जब एक ही अधिसूचना से किसानों की भूमि प्रभावित हो।

कहा कि याची के मामले में उनकी अधिसूचना की तिथि व धारा 28 ए की अर्जी में लिखित अधिसूचना की तिथियों में अंतर है। कोर्ट ने कहा कि अधिकारी को गुण दोष के आधार पर दाखिल और अर्जियों का निस्तारण कर देना चाहिए, न कि उसे लटकाए रखा जाए।

हाईकोर्ट ने पारित अपने आदेश में कहा है कि विगत एक 1 नवंबर 21 को भी इसी कोर्ट ने सचिव राजस्व को निर्देश दिया था, कि वह पूरे प्रदेश के जिलों में धारा 28 ए के अंतर्गत दाखिल हर जिले की अर्जियों का चार माह के अंदर निस्तारण कराएं।

Allahabad HC: आदेश का पालन न करने पर सचिव राजस्व होंगे जिम्मेदार

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कोर्ट ने कहा कि उस आदेश में यह भी कहा गया था कि ऐसा न कर सकने पर सचिव राजस्व इसके लिए जिम्मेदार होंगे। हाईकोर्ट ने कहा कि आदेश पारित हुए चार माह से अधिक हो गया इसके बावजूद कोर्ट में याचिकाएं आ रही हैं। उसमें आरोप लगाया जा रहा है कि किसानों की धारा 28 ए के अंतर्गत दाखिल प्रार्थना पत्रों का निस्तारण नहीं हुआ है।

कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई की ता‍रीख 10 मई तय की है। सचिव राजस्व से उनका हलफनामा मांगा है और कहां है वह बताएं कि कोर्ट के पिछले आदेशों के बावजूद किसानों के अर्जियों का निशान क्यों नहीं किया गया।

भूमि अधिग्रहण कानून 1894 में धारा 28ए के तहत किसान अर्जी तब देता है जब एक ही अधिसूचना से बहुत सारी जमीनों का अधिग्रहण किया गया हो और कोर्ट ने उस अधिसूचना से संबंधित अन्य भूमि का मुआवजा बढ़ा कर देने का निर्देश दिया हो।

कोर्ट के इस आदेश के बाद अन्य किसानों के लिए यह प्रावधान बना है कि वह भी धारा 28 ए भूमि अधिग्रहण कानून के अंतर्गत स्पेशल लैंड एक्विजिशन अधिकारी को अर्जी देकर अपनी भूमिका का भी बढ़ा हुआ मुआवजा प्राप्त करें।

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