Allahabad HC: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संविदा शर्तों का पालन न करने, सेंटर से लगातार गैर हाजिर रहने, बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने में विफल आंगनबाड़ी कार्यकत्री को सेवा से हटाने के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि जांच रिपोर्ट के तथ्यों पर अविश्वास करने का कोई आधार नहीं है। कार्य व्यवहार में सुधार लाने की बार-बार दी गई चेतावनी की अनदेखी करना और निरीक्षण के समय गैर हाजिर रहना संविदा शर्तों का उल्लघंन है। ऐसे में संविदा समाप्त करना गलत नहीं है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है।
Allahabad HC: याची की दलील, निरीक्षण ही नहीं हुआ
ये आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम श्मशेरी ने धन कुंवर की याचिका पर दिया।याची का कहना था कि वह वर्ष 1991 से आंगनबाड़ी कार्यकत्री के रूप में कार्यरत हैं।वह सेंटर पर सवा आठ बजे से बारह बजे तक मौजूद थीं, वास्तव में कोई निरीक्षण ही नहीं हुआ। ग्राम प्रधान ने उसके पक्ष में प्रमाणपत्र दिया है।
जिसे डीपीआरओ को दिया गया। अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के निर्देश पर जांच में उसके खिलाफ एकतरफा रिपोर्ट दी गई है। उसे पक्ष रखने का मौका ही नहीं दिया गया। वह महोबा के मझलवारा आंगनबाड़ी केंद्र पर कार्यरत है। कोर्ट ने कहा कि याची ऐसा दस्तावेजी साक्ष्य नहीं दे सकी जिससे जांच रिपोर्ट के तथ्यों पर अविश्वास किया जा सके।
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