प्राचीन काल से हिंदू धर्म में शिखा बंधन का विशेष महत्व रहा है। वेद और वैज्ञानिकता के आधार पर शिखा रखने के बड़े ही फायदे हैं। हालांकि, आज के नए युग में लोग फैशन के लिए अपनी चोटी कटवाते फिर रहे हैं। अब आपके मन में कई प्रश्न उठ रहा होगा कि ये शिखा क्या बला है? इसे बांधने के लिए क्यों कहा जाता है? कहां होती है शिखा? क्या सच में वेद, पुराणों में इसका जिक्र है? अगर जिक्र है, तो इसके बांधने के क्या नियम, कायदे हैं? तो आइए आज आपको शिखा बंधन से जुड़े वैदिक और वैज्ञानिक प्रमाण के साथ-साथ इसके महत्व और फायदे, विस्तार से बताते हैं:
शिखा माने चोटी! अक्सर आपने किसी न किसी को या कहीं न कहीं पंडित, गुरुकुल के छात्र या टीवी सीरियल, फिल्मों में किसी कलाकार को चोटी रखे आवश्यक देखे होंगे। शिखा बंधन मूल रूप से हिंदू रीति -रिवाज का हिस्सा रहा है। आज भी देश के कई हिस्सों में शिखा धारी ब्राह्मण दिख जाते हैं।
शिखा क्या है?
मनुष्य के मस्तिष्क के पिछले हिस्से में एक केंद्र होता है, जिसे अधिपति मर्म कहा जाता है। विज्ञान के अनुसार, यहां शरीर की सारी नाड़ियों का मिलन होता है। उसी स्थान पर रखे गए बालों के गुच्छे को शिखा कहा जाता है। किवदंतियों के अनुसार, “ये गाय के खुड़ों के आकार का होना चाहिए। इसका आकार इससे कम या ज्यादा होने पर ये ठीक से काम नहीं करता है।”

शिखा रखने का महत्व
हमारी परम्पराएं न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत हैं, बल्कि वैज्ञानिक भी हैं, क्योंकि हमारे ऋषि गणितज्ञ, विद्वान, डॉक्टर, इंजीनियर होने के साथ-साथ वैज्ञानिक भी थे। सुश्रुत ऋषि, आयुर्वेद के अग्रणी सर्जन ने सिर के केंद्र में संवेदनशील स्थान को अधिपति मर्म के रूप में वर्णित किया था। उन्होंने कहा था, “इसी जगह पर सभी नसों की सांठगांठ होती है। शिखा इस स्थान की रक्षा करती है।”
आयुर्वेद कहता है कि अधिपति मर्म से हमें ऊर्जा मिलती है। हमारी परंपरा और रीति-रिवाजों के अनुसार, पूजा पाठ के दौरान सिर पर बालों का गुच्छा बांधा जाता है। अर्थात शिखा बंधन अधिपति मर्म की रक्षा के लिए बांधा जाता है। ब्राह्मण ऐसा इसलिए करता है ताकि इससे अधिपति मर्म बाहरी आक्रमण से सुरक्षित रहे। विद्वानों का मानना है कि शांति, सांस छोड़ना, आनंद और अनंत का आश्चर्य और अपनी पांच इंद्रियों से परे जाना, वे पुरस्कार हैं जो आपको तब मिलते हैं जब आप अधिपति मर्म को सक्रिय करते हैं।
शिखा बंधन के फायदे
शिखा का सबसे पहला लाभ यह है कि यह व्यक्ति की बौद्घिक एवं स्मरण शक्ति को बढ़ाने का काम कारता है। आपने चाणक्य और कई अन्य प्राचीन विद्वानों की तस्वीरें देखी होगी जिसमें उनके सिर पर शिखा दिखी होगी। यह शिखा इसलिए रखते थे कि उनकी बौद्घिक क्षमता बनी रही।
एक पाश्चात्य वैज्ञनिक हुए सर चार्ल ल्यूक्स। इन्हों ने शिखा के फायदे पर जब शोध किया तब बताया कि ‘शिखा का जिस्म के उस जरुरी अंग से बहुत संबंध है जिससे ज्ञान वृद्घि और तमाम अंगों का संचालन होता है। जब से मैंने इस विज्ञान की खोज की है तब से मैं खुद चोटी रखता हूं’
मस्तिष्क के भीतर जहां पर बालों आवर्त होता है उस स्थान पर नाड़ियों का मेल होता है। इसे ‘अधिपति मर्म’ कहा जाता है। यानी यह बहुत ही नाजुक स्थान होता है। यहां चोट लगने पर व्यक्ति की तुरंत मृत्यु हो सकती है। इसे बचाने के लिए भी शिखा बांधा जाता है।
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