Shaligram: अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण कार्य जोरों पर है।नेपाल से अयोध्या लाईं गई करीब छह करोड़ साल पुरानी शालिग्राम शिलाएं इन दिनों बेहद चर्चा में हैं। दरअसल इन्हीं शिलाओं से अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर के गर्भगृह में स्थापित होने वाली भगवान राम और माता सीता की मूर्ति तैयार होनी है।ये शिलाएं नेपाल की गंडकी नदी से लाई गईं हैं।माना जा रहा है कि साल 2024 में होने वाली मकर संक्रांति तक यह मूर्तियां बनकर तैयार हो जाएंगी।
इसी बीच श्रीराम और सीता माता की मूर्ति को लेकर लोगों के मन में कई सवाल हैं।क्यों आखिर इसी शिला के द्वारा प्रभु श्रीराम जी की मूर्ति बनाई जा रही है और इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व क्या है।आइये जानते हैं शालिग्राम के बारे में पूरी जानकारी यहां विस्तार से।

Shaligram: जानें शालिग्राम का धार्मिक महत्व
Shaligram: हिंदू शास्त्रों के अनुसार कुल 33 तरह के शालिग्राम होते हैं।इन्हें भगवान श्रीहरि विष्णु के 24 अवतारों से जोड़कर भी देखा जाता है।जैसे गोलाकार शालिग्राम को भगवान विष्णु का गोपाल रुप माना जाता है।मछली के आकार के शालिग्राम को मत्स्य अवतार का रुप माना जाता है।कछुए के आकार को कच्छप अवतार का प्रतीक माना जाता है।
शालिग्राम में उभरने वाले चक्र को या जिन शालिग्राम में रेखाएं होती हैं, उन्हें श्री कृष्ण का रुप माना जाता है।मालूम हो कि इन सभी स्वरूपों का संबंध सीधेतौर पर एकादशी व्रत से भी माना जाता है।
Shaligram: वैज्ञानिक महत्व जानिए

वैज्ञानिकों के अनुसार शालिग्राम एक प्रकार का जीवाश्म पत्थर होता है। धार्मिक आधार पर इसका प्रयोग परमेश्वर के प्रतिनिधि के रूप में भगवान का आह्वान करने के लिए किया जाता है।वैष्णव (हिंदू) पवित्र नदी गंडकी में पाए जानेवाला एक गोलाकार, आमतौर पर काले रंग के एमोनोइड जीवाश्म को विष्णु के प्रतिनिधि के रूप में पूजते हैं।
Shaligram: गंडकी नंदन भी कहलाता है ”शालिग्राम”
Shaligram: शालिग्राम मूलरूप से नेपाल में स्थित दामोदर कुंड से निकलने वाली काली गंडकी नदी से प्राप्त किया जाता है।यही वजह है कि शालिग्राम को गंडकी नंदन भी कहा जाता है।शालिग्राम भगवान विष्णु का प्रसिद्ध नाम है। जो इन्हें देवी वृंदा के शाप के बाद मिला नाम है।
Shaligram: सालग्राम नामक गांव से भी है नाता
हिंदू धर्म में शालिग्राम को सालग्राम के रूप में भी जाना जाता है।शालिग्राम का संबंध सालग्राम नामक गांव से भी है। यह गांव नेपाल में गंडकी नामक नदी के किनारे पर स्थित है। शिवलिंग और शालिग्राम को भगवान का विग्रह रूप माना जाता है। पुराणों के अनुसार भगवान के इस विग्रह रूप की ही पूजा की जानी चाहिए। शिवलिंग के तो भारत में लाखों मंदिर हैं, लेकिन शालिग्रामजी का एक ही मंदिर है।
शिवलिंग की तरह शालिग्राम भी दुर्लभ है। अधिकतर शालिग्राम नेपाल के मुक्तिनाथ क्षेत्र, काली गण्डकी नदी के तट पर पाए जाते हैं। काले और भूरे शालिग्राम के अलावा सफेद, नीले और सुनहरी आभा युक्त शालिग्राम भी होता है। सुनहरा और ज्योतियुक्त शालिग्राम मिलना अत्यंत दुर्लभ है। पूर्ण शालिग्राम में भगवाण विष्णु के चक्र की आकृति प्राकृतिक तौर पर बनी होती है।
Shaligram: ‘वज्र-कीट’ नामक कीट का आवास भी है शालिग्राम
हिंदू परंपरा के अनुसार ‘वज्र-कीट’ नामक एक छोटा कीट इन्हीं शिलाओं में रहता है। कीट का एक हीरे का दांत होता है जो शालिग्राम पत्थर को काटता है और उसके अंदर रहता है। वैष्णवों के अनुसार शालिग्राम ‘भगवान विष्णु का निवास स्थान’ है। जो कोई भी इसे रखता है, उसे प्रतिदिन इसकी पूजा करनी चाहिए। उसे कठोर नियमों का भी पालन करना चाहिए जैसे बिना स्नान किए शालिग्राम को न छूना, शालिग्राम को कभी भी जमीन पर न रखना, गैर-सात्विक भोजन से परहेज करना और बुरी प्रथाओं में लिप्त न होना। स्वयं भगवान कृष्ण ने महाभारत में युधिष्ठिर को शालिग्राम के गुण बताए हैं। मंदिर अपने अनुष्ठानों में किसी भी प्रकार के शालिग्राम का उपयोग कर सकते हैं।
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