Navratri 2022: विजयादशमी और देवी मां की विदाई के मौके पर दिल्ली-एनसीआर में जगह-जगह सिंदूर खेला का आयोजन किया गया।शास्त्रों के अनुसार ये खास उत्सव मां की विदाई पर मनाया जाता है।दशहरा यानी शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन मां दुर्गा की विदाई होती है।इस उपलक्ष्य में सुहागिन महिलाएं उन्हें सिंदूर अर्पित कर आशीर्वाद लेती हैं।
इस दौरान महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं।महिलाएं सिंदूर खेला के दिन पान के पत्तों से मां दुर्गा के गालों को स्पर्श कर उनकी मांग और माथे पर सिंदूर लगाकर अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती हैं।इसके बाद देवी मां को पान और मिठाई का भोग लगाया जाता है। दिल्ली-एनसीआर में बने भव्य दुर्गा पूजा पंडालों में महिलाओं ने मां दुर्गा को सिंदूर लगाया।इसके साथ एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर मां के नाम के जयकारे लगाए।
खासतौर से बंगाली समुदाय की महिलाएं मां दुर्गा को खुश करने के लिए पारंपरिक धुनुची नृत्य करती हैं। सिंदूर खेला के पीछे एक धार्मिक महत्व भी है। कहा जाता है कि लगभग 450 साल पहले बंगाल में मां दुर्गा के विसर्जन से पहले सिंदूर खेला का उत्सव मनाया गया था। तभी से लोगों में इस रस्म को लेकर काफी मान्यता है और हर साल धूमधाम इसे मनाया जाता है।
Navratri 2022: पोटली में श्रृंगार का सामान रखकर देते हैं मां दुर्गा को विदाई
ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा साल भर में एक बार मायके आती हैं। यहां 10 दिन रुकने के बाद फिर सुसराल चली जाती हैं। मां के रुकने को दुर्गा पूजा के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। जिस प्रकार लड़की मायके आती है और उसकी सेवा की जाती है, उसी प्रकार नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा और सेवा की जाती है। 10वें दिन माता पार्वती अपने घर भगवान शिव के पास कैलाश पर्वत पर चली जाती हैं।
जिस प्रकार बेटियों को विदा करते समय खाने-पीने का सामान और अन्य प्रकार की भेंट दी जाती है। ठीक उसी प्रकार विसर्जन से पहले मां दुर्गा के साथ पोटली में श्रृंगार का सामान और खाने की चीजें रख दी जाती हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि देवलोक के दौरान उन्हें रास्ते में कोई परेशानी न हो। इस प्रथा को देवी बोरन कहा जाता है।
Navratri 2022: देवी को लाल और सफेद चूड़ियां पहनाते हैं
देवी बोरन प्रथा में सुहागन महिलाएं एक कतार में खड़ी होकर मां दुर्गा को अलविदा करती हैं और उनकी बोरन थाली में सुपारी, पान का पत्ता, मिठाई, सिंदूर, आलता, मिठाई, अगरबत्ती होती हैं।पान के पत्ते से मां के चेहरे को पोंछती हैं और फिर सिंदूर लगाया जाता है। मां दुर्गा का लाल और सफेद चूड़ियां पहनाकर विदाई दी जाती है।
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