Mauni Amavasya 2023: माघ माह की अमावास ही मौनी अमावस्या कहलाती है।इसका हमारे शास्त्रों में बहुत महत्व है।ऐसी मान्यता है कि इसी समय भगवान विष्णु, और पितृ के साथ-साथ सूर्य देव को अर्घ्य देने का भी बहुत महत्व होता है।हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष पूरे 30 साल बाद बेहद खास योग बन रहा है।इस दौरान दान, तीर्थ यात्रा, भागवत कथा और गीता श्रवण आदि का बहुत महत्व माना जाता है।
इस वर्ष 21 जनवरी को मौनी अमावस्या है।इस दिन शनिवार होने के साथ पहली शनि शनि अमावस्या भी रहेगी।वहीं शनि महाराज 3 दिन पूर्व ही कुंभ राशि में गोचर कर जाएंगे। ऐसे में ज्योतिष की दृष्टि से इसे बहुत ही शुभ संयोग माना जा रहा है।
ज्योतिषियों के अनुसार मकर राशि में सूर्य, शुक्र की युति और त्रिकोण की स्थिति खप्पर योग का निर्माण कर रही है। अक्सर जब भी ऐसी युति बनती है, अलग-अलग प्रकार के संयोग बनते हैं।

Mauni Amavasya 2023: जानिए तिथि और मुहूर्त
- अमावस्या प्रारंभ – 21 जनवरी सुबह 6. 19 मिनट
- अमावस्या समापन – 22 जनवरी 2023 की रात 2.25 मिनट
- ब्रहम मुहूर्त- सुबह 5.27 बजे से 6. 20 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12.11 बजे से 12.54 बजे तक
- गोधूलि योग – शाम 5.48 बजे से 6.15 बजे तक
- सवार्थ सिद्धी योग – पूरे दिन
Mauni Amavasya 2023: क्यों कहते हैं मौनी अमावस?
Mauni Amavasya 2023:ज्योतिष मतानुसार ‘मौनी’ शब्द ही मुनि से बना है।ऐसा माना जाता है कि साधु- संत मौन रहकर मन और वाणी को संयमित करते थे। ईश्वर के ध्यान में खुद को तल्लीन रखकर कई सिद्धियों को प्राप्त किया करते थे।
तब से निरंतर आज तक ये परंपरा चली आ रही है।इस दिन अगर सामान्य लोग भी मन और वाणी को नियंत्रित रखकर मौन व्रत करें तो इससे उन्हें पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
यहां पर मौन होने का मतलब अपने अंतर्मन को शांत, स्थिर और निर्मल बनाना होता है।
इस दिन मौन रहकर व्यक्ति को अपने मन में भी किसी तरह के खराब चीजों को नहीं लाना चाहिए। शांत चित्त रहकर खुद के अंतर्मन में झांकें। मन की अशुद्धियों को दूर करने का प्रयास करें। एकाग्र होकर प्रभु के नाम का स्मरण करना करें जोकि बेहद जरूरी है।
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