Lohri: लोहड़ी नाम सुनते ही आंखों के आगे एक ऐसा नजारा होता है, जिसमें लोग जलती लकड़ियों के बीच नाचते और झूमते हुए अपनी खुशी का इजहार करते हैं।लेकिन बात यहां पर आकर ही खत्म नहीं होती है।लोहड़ी प्रसिद्ध है अपने जोश और उत्साह के लिए।
दरअसल उत्तर भारत के पंजाब राज्य में मनाई जाने वाली लोहड़ी यहां का पारंपरिक लोकपर्व होने के साथ ही यहां की संस्कृति की झलक भी है।ऐसी मान्यता है कि लोहड़ी के बाद से ही दिन बड़े होने लगते हैं, यानी माघ मास शुरू हो जाता है।
लोहड़ी की धूम अब पूरे विश्व में मनाया जाता है। हालांकि पंजाब, हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर में ये त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। लोहड़ी के मौके पर अक्सर लोग दुल्ला भट्टी वाला गाना भी गाया जाता है।आइये जानते हैं लोहड़ी में अक्सर कहे जाने वाले गाने दुल्ला भट्टी के बारे में।
Lohri: जानिए दुल्ला भट्टी की दिलचस्प कहानी?
Lohri: मध्यकालीन भारत में मुगल राजा अकबर के काल में दुल्ला भट्टी नामक एक लुटेरा पंजाब में रहता था। इसके बारे में कहानी प्रचलित है कि दुल्ला भट्टी न केवल धनी लोगों को लूटता था, बल्कि बाजार में बेची जाने वाली गरीब लड़कियों को बचाने के साथ ही उनकी शादी भी करवाता था।
लोहड़ी के पर्व को इसीलिए दुल्ला भट्टी से जोड़ा जाता है। लोहड़ी के कई गीतों में भी इनके नाम का जिक्र होता है। पंजाब में किसान सुंदरदास की दो बेटियां थी सुंदरी और मुंदरी। उसी गांव में रहने वाले नंबरदार की नीयत खराब हो गई और सुंदरदास को धमकाया कि बेटियों की शादी उससे करवा दे।सुंदरदास ने दुल्ला भट्टी से फरियाद करते हुए कहा कि नंबरदास से उनकी बेटियों को बचाए।भट्टी ने सुंदरदास को कहा तेरीयां धीआं तेरी मर्जी नाल ही व्याहियां जाणगीयां…ऐह मेरी जुबान ऐ…।
इतना सुनते ही दुल्ला अपने साथियों को साथ लेकर नंबरदार के गांव गया और उसके सारे खेत जला दिए। जिससे नंबरदार डरकर भाग गया। दुल्ला अपने साथियों को साथ लेकर नंबरदार के गांव गया और उसके सारे खेत जला दिए। जिससे नंबरदार डरकर भाग गया।
Lohri: मशहूर दुल्ला भट्टी का गाना
सुन्दर मुंदरिए
तेरा कौन विचारा
दुल्ला भट्टीवाला
दुल्ले दी धी व्याही
सेर शक्कर पायी
कुड़ी दा लाल पताका
कुड़ी दा सालू पाटा
सालू कौन समेटे
मामे चूरी कुट्टी
जिमींदारां लुट्टी
जमींदार सुधाए
गिन गिन पोले लाए
इक पोला घट गया
ज़मींदार वोहटी ले के नस गया
इक पोला होर आया
ज़मींदार वोहटी ले के दौड़ आया
सिपाही फेर के ले गया
सिपाही नूं मारी इट्ट
भावें रो ते भावें पिट्ट
साहनूं दे लोहड़ी
तेरी जीवे जोड़ी
साहनूं दे दाणे तेरे जीण न्याणे
Lohri: भगवान श्रीकृष्ण ने किया था लोहिता का वध
एक अन्य पौराणिक कथाओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन कंस ने श्री कृष्ण को मारने के लिए लोहिता नामक राक्षसी को गोकुल भेजा।जिसे श्री कृष्ण ने खेल-खेल में ही मार डाला था। उसी घटना के बाद से लोहड़ी पर्व मनाया जाता है।
Lohri: पंजाबियों के लिए बेहद खास है लोहड़ी
Lohri: पंजाबियों के लिए लोहड़ी बेहद खास महत्व रखता है।जिस घर में नई शादी हुई हो या बच्चे का जन्म हुआ हो, उन्हें विशेषतौर पर लोहड़ी की बधाई दी जाती है। घर में नववधू या बच्चे की पहली लोहड़ी भी काफी महत्व रखती है। इस दिन विवाहित बहन और बेटियों को घर बुलाया जाता है। ये त्योहार बहन और बेटियों की रक्षा और सम्मान के लिए मनाया जाता है।
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