Kedarnath Dham के कपाट 27 अक्टूबर को भैया दूज के मौके पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। सुबह साढ़े आठ बजे भगवान केदारनाथ के कपाट विधिवत पूजा-अर्चना के बाद बंद कर दिए गए हैं। बाबा केदार उखीमठ के लिए रवाना भी हो चुके हैं। लेकिन विदाई से पहले बाबा केदार के गर्भगृह को स्वर्णमयी कर दिया गया है। 550 सोने की परतों से गर्भगृह की दीवारें और छत नए स्वरूप में दिख रही हैं।
Kedarnath Dham का गर्भगृह को सोने से सजाया गया
उत्तराखंड में स्थित विश्वप्रसिद्ध Kedarnath Dham के गर्भगृह को और भी भव्य रूप दिया गया है। दरअसल, यहां सोने की 550 परतों से गर्भगृह की दीवारों और छत को नया स्वरूप दिया गया है। पिछले तीन दिनों से केदारनाथ गर्भगृह में सोना चढ़ाने का काम चल रहा था, जो अब पूरा हो गया है। 19 कारीगरों ने तीन दिन में इस काम को पूरा किया है। यह कार्य ASI के अधिकारियों और IIT Roorkee के सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के 6 सदस्यों की निगरानी में पूरा किया गया है।
इसके लिए पहले Kedarnath Dham के गर्भगृह से पहले चांदी हटाई गई। इसके बाद चांदी की जगह तांबा लगाया गया था। फिर इस तांबे को निकालकर वापस महाराष्ट्र ले गए और इसी के नाप पर सोने की परत तैयार की गई।
19 नवंबर को बंद होंगे बद्रीनाथ धाम के कपाट
बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के सूत्रों ने बताया कि लगभग सुबह साढ़े आठ बजे भगवान केदारनाथ के कपाट वैदिक मंत्रोच्चार के बीच विधिवत पूजा-अर्चना के बाद बंद कर दिए गए। कपाट बंद होने के दौरान मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय, तीर्थ पुरोहित और रूद्रप्रयाग जिला प्रशासन के अलावा तीन हजार से अधिक श्रद्धालु वहां मौजूद थे। सेना की 11 मराठा रेजीमेंट के बैंड की भक्तिमय स्वर लहरियों के बीच कपाट को शीतकाल के लिए बंद किया गया है। श्रद्धालुओं के ‘बम बम भोले’ और ‘जय केदार’ के उद्घोष से पूरा केदारनाथ धाम गुंजायमान रहा।
आपको बता दें, गंगोत्री धाम के कपाट बुधवार यानि 26 अक्टूबर को शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए थे। यमुनोत्री के कपाट भी शीतकाल के लिए आज ही बंद कर दिए जाएंगे, जबकि बद्रीनाथ के कपाट 19 नवंबर को बंद होंगे।
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