Chhath Puja 2022: माता महालक्ष्मी के प्रिय दिन शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय छठ व्रत शुरू हो गया। छठ का आज दूसरा दिन खरना है। इसी के साथ खरना 29 अक्टूबर को पड़ रही है। इसका समापन सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा। व्रति शनिवार को खरना का व्रत करेंगे। जबकि रविवार को प्रथम और सोमवार को सुबह का अर्घ्य देकर पारण कर सूर्योपासना का चार दिवसीय अनुष्ठान संपन्न करेंगे।
बता दें कि छठ के दूसरे दिन को खरना या लोहंडा भी कहते हैं। नहाय-खाय के बाद खरना आता है। पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को खरना पूजा होती है। छठ पूजा के पहले दिन नहाय-खाय से तन और घर की साफ-सफाई होती हे। उसके बाद खरना से मन की सफाई यानि पवित्रता होती है। छठ पूजा साफ-सफाई के साथ ब्रह्मचर्य के कठिन नियमों से जुड़ा हुआ है। खरना की रात प्रसाद ग्रहण करने के बाद छठी मैया का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है। पंचांग के अनुसार, चतुर्थी प्रातः 08:13 बजे शुरू होगी, पंचमी 30 अक्टूबर को प्रातः 05:49 बजे तथा ब्रह्म मुहूर्त 29 अक्टूबर को प्रातः 05:02 से प्रातः 05:52 तक चलेगा।

Chhath Puja 2022: क्या है खरना का विशेष महत्व?
खरना पूजा विशेषकर व्रती के मन की शुद्धता के लिए होता है। इस दिन व्रती स्वयं को मानसिक तौर पर 36 घंटे के कठिन निर्जला व्रत के लिए तैयार करता है। तन और मन की शुद्धता के बाद छठ पूजा का व्रत प्रारंभ होता है। खरना के दिन ही छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है, इसमें भी शुद्धता का विशेष ध्यान रखते हैं। छठ का प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी की मदद से बनाया जाता है। प्रसाद में विशेष तौर पर ठेकुआ बनाते हैं।

Chhath Puja 2022: खरना पूजा विधि
- छठ पूजा के दूसरे दिन प्रात: स्नान के बाद व्रती व्रत और पूजा का संकल्प करता है।
- फिर इस दिन निर्जला व्रत रखा जाता है. दिन में छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है।
- रात के समय में चावल और गुड़ से खीर बनाते हैं, जिसे रसियाव कहा जाता है। इसके अलावा पूड़ी भी बनाई जाती है।
- प्रसाद बन जाने के बाद व्रती पूजा करते हैं और वे सूर्य भगवान को रसियाव, पूड़ी और मिठाई का भोग लगाते हैं।
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