पश्चिम बंगाल (West Bengal) में चुनाव के बाद हुई हिंसा की जांच को कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) के आदेश को चुनौती देने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में 20 सितंबर को सुनवाई होगी। हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
ममता बनर्जी को नहीं है न्याय पर भरोसा
दरअसल ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए दाखिल याचिका में कहा है कि उसे पश्चिम बंगाल हिंसा मामले में CBI से निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं है क्योंकि CBI केंद्र के इशारे पर काम कर रही है। CBI लगातार TMC के पदाधिकारियों के खिलाफ मामले दर्ज करने में लगी हुई है।
यह पहली बार नहीं है जब ममता बनर्जी ने कहा है कि उन्हें कोर्ट के न्याय पर भरोसा नहीं है इससे पहले वह कलकत्ता हाई कोर्ट के जज कौशिक चंद पर बीजेपी के साथ मिलकर काम करने का आरोप लगा चुकी हैं।
इसी बयान पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर कलकत्ता हाई कोर्ट के जज कौशिक चंद ने 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। ममता सरकार द्वारा खुद पर लगाए आरोपों को निराधार पाने के बाद कौशिक ने ममता पर जुर्माना लगाने का फैसला किया था।
हिंसा में 12 लोगों की हुई थी मौत
बता दें कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद 3 मई को बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। इसमें 12 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। कई रिपोर्ट ने दावा किया था कि, हिंसा में बच्चियों और महिलाओं के साथ बलात्कार भी हुआ था।
जघन्य अपराध को देखते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission) (NHRC) ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर हिंसा की सीबीआई जांच कराने की मांग की थी। हाई कोर्ट ने याचिका 19 अगस्त को स्वीकार कर सीबीआई जांच का आदेश दे दिया था लेकिन अब मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है जिसपर 20 सितंबर को सुनवाई होने वाली है।
हिंसा के बाद पलायन की खबरें
बता दें कि, इस हिंसा के बाद बीजेपी और टीएमसी ने आरोप प्रत्यारोप का खेल शुरू कर दिया था। बीजेपी ने दावा किया था कि उसके 6 कार्यकर्ताओं को टीएमसी ने मौत के घाट उतार दिया था। वहीं हिंसा के बाद राज्य से पलायन की खबरें भी सामने आरही थी।
इसके अलावा चुनाव में हिंसा से जुड़े अन्य मामलो के लिए SIT के गठन करने का भी आदेश दिया था।
गौरतलब है कि, चुनाव के बाद राज्य में हुई हिंसा को लेकर एसआईटी से जांच कराने की मांग की गई थी, इसी सिलसिले में कोर्ट में याचिका भी दायर की गई थी जिसमें बताया गया था कि लोगों में डर का माहौल है। लोग राज्य को छोड़ दूसरी जगह जा रहे हैं।
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