Year Ender 2023: साल 2023 कई मायनों में अहम रहा। देश न सिर्फ सेना, अंतरिक्ष, विज्ञान और मेडिकल जगत से जुड़ी उपलब्धियों का गवाह बना बल्कि कानूनी रूप से इस साल सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे कई अहम फैसले दिए जिनका राजनीतिक और सामाजिक तौर पर दूरगामी असर देखने को मिला। फिर चाहे जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म करने के केंद्र के फैसले को मंजूरी देने वाले ऐतिहासिक फैसले की बात हो या समलैंगिक विवाह को कानूनी तौर पर वैधता देने की मांग हो।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी बयान में कहा गया है, ”एक अन्य उपलब्धि में, भारत का सर्वोच्च न्यायालय 1 जनवरी, 2023 से 15 दिसंबर, 2023 तक 52191 मामलों का निपटारा करने में सक्षम रहा है, जिसमें 45,642 विविध मामले और लगभग 6,549 नियमित मामले शामिल हैं। साल 2023 में कुल 49191 मामले सुप्रीम कोर्ट के पास पहुंचे, जबकि 52191 मामलों का निपटारा हुआ। इससे पता चलता है कि इस साल सुप्रीम कोर्ट दर्ज मामलों की तुलना में अधिक मामलों का निपटान करने में सक्षम था।” साल 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने कई ऐतिहासिक फैसले किए। आइये जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
1. अनुच्छेद 370 हटाना वैध

इस साल कानूनी रूप से सुप्रीम कोर्ट के जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 पर सुनाए फैसले को हमेशा याद रखा जाएगा। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने वर्डिक्ट में कहा कि जम्मू कश्मीर के पास भारत में विलय के बाद आंतरिक संप्रभुता का अधिकार नहीं है। अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर राज्य का दर्जा बहाल करने और 30 सितंबर 2024 तक चुनाव कराने के लिए कहा है।
2. समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं

इस साल समलैंगिक जोड़ों की शादी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने ऐसे जोड़ों को कानूनी वैधता देने से इनकार कर दिया। ये फैसला मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने दिया। पीठ ने 3-2 के बहुमत वाले अपने फैसले में कहा था कि इस तरह की अनुमति सिर्फ संसद के जरिए कानून बनाकर ही दी जा सकती है। हालांकि, पसंद के अधिकार को अदालत ने संवैधानिक अधिकार करार दिया।
3. नोटबंदी पर सुनाया फैसला

साल 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के निर्णय की वैधता को चुनौती देने वाली तमाम याचिकाओं पर भी अपना फैसला सुनाया। खास बात ये रही कि कोर्ट ने भी सरकार के फैसले को ही बरकरार रखा। इस संबंध में दाखिल सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया।
4. दिल्ली की सर्विसेज पर फैसला

इस साल सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की सर्विसेज पर भी सुनवाई की। फैसले में कहा गया कि दिल्ली सरकार के कंट्रोल में प्रशासनिक सेवा होगी। इसमें पब्लिक ऑर्डर, पुलिस, जमीन को अलग रखा गया। कहा गया कि चुनी हुई सरकार के पास ब्यूरोक्रेट का कंट्रोल होना चाहिए।
5. तलाक के लिए 6 महीने का इंतजार अनिवार्य नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने इस साल तलाक पर भी बड़ा फैसला सुनाया। इसमें कहा गया कि आपसी सहमति से तलाक के लिए 6 महीने का वेटिंग पीरियड जरूरी नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में जहां पति पत्नी के साथ रह पाने की कोई संभावना न बची हो, वहां वो आर्टिकल 142 के तहत मिली विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए अपनी ओर से भी तलाक दे सकता है। इस फैसले से ये साफ हो गया कि तलाक के लिए 6 महीने का इंतजार जरूरी नहीं होगा।
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