2017 में देश की अदालतों में सुनाए गये कई अहम और बड़े फैसलों के लिए याद रखा जाएगा। इस वर्ष देश की अलग-अलग अदालतों ने समाज और अपराधिक मामलों से जुड़े कई ऐसे फैसले दिए जिनका न केवल आम जनता ने स्वागत किया बल्कि अदालतों में उसके इस भरोसे को और मजबूत किया कि हर तरह कि विपरीत परिस्थितियों के बावजूद वह अदालत से न्याय की उम्मीद रख सकता है। इन फैसलों ने आम जनता के बीच अदालत की छवि को और मजबूत बनाया।
यह रहे 2017 के बड़े फैसले
1) सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के अध्यक्ष पद से अनुराग ठाकुर को हटाया (2 जनवरी, 2017)
2017 का दूसरा ही दिन सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने को लेकर सालभर से ज्यादा समय से चल रहे मामले में सोमवार 2 जनवरी को अपना अंतिम फैसला सुनाया और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को पद से हटा दिया। ठाकुर पर आरोप था कि उन्होंने आईसीसी से कहा था कि आईसीसी ऐसा पत्र जारी करे जिसमें यह लिखा हो कि अगर लोढ़ा पैनल की सिफारिशों को लागू किया जाता है तो इससे बोर्ड के काम में सरकारी दखलअंदाजी बढ़ जाएगी। हालांकि ठाकुर ने इस आरोप से इनकार किया था।
2) धर्म के नाम पर वोट मांगना गैरकानूनी, चुनाव एक धर्मनिरपेक्ष पद्धति : सुप्रीम कोर्ट (2 जनवरी, 2017)
दो जनवरी को ही सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संवैधानिक पीठ ने एक अहम फैसले में कहा कि प्रत्याशी या उसके समर्थकों के धर्म, जाति, समुदाय, भाषा के नाम पर वोट मांगना गैरकानूनी है। कोर्ट ने कहा कि चुनाव एक धर्मनिरपेक्ष पद्धति है. इस आधार पर वोट मांगना संविधान की भावना के खिलाफ है। जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा-123 (3) के तहत ‘उसके’ धर्म की बात है और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को व्याख्या करनी थी कि ‘उसके’ धर्म का दायरा क्या है?
3) जस्टिस जे एस खेहर बने प्रधान न्यायाधीश (4 जनवरी, 2017)
साल शुरू होते ही देश नो नया प्रधान न्यायाधीश मिला। 4 जनवरी 2017 को जस्टिस जे एस खेहर ने भारत के 44वें प्रधान न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली। वे भारत के पहले सिख प्रधान न्यायाधीश रहे। उन्होंने पूर्व प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर से पदभार संभाला। प्रधान न्यायाधीश बनते ही जस्टिस खेहर ने बरसों पुरानी परंपरा को तोड़ दिया और शपथ लेने के तुरंत बाद वह ठीक साढ़े दस बजे कोर्ट रूम में उफस्थित हो गये। इससे पहले प्रधान न्यायाधीश के शपथ लेने वाले दिन कार्यवाही 11 बजे शुरू होती थी। जस्टिस खेहर 27 अगस्त को इस पद से रिटायर हुए।
4) SC का आदेश: बिरला-सहारा डायरी केस में पीएम मोदी समेत अन्य नेताओं के खिलाफ जांच नहीं होगी (11 जनवरी, 2017)
सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जांच की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। इस याचिका में कोर्ट से FIR दर्ज करने और कोर्ट की निगरानी में SIT से जांच की मांग की गयी थी। इस याचिका में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पर उस वक्त घूस लेने का आरोप लगाया गया था जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे। मोदी के साथ कई और नेताओं पर इस डायरी का हवाला देते हुए घूस लेने का आरोप लगाया गया था। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महज डायरी और कागजातों में नाम लिखे होने के आधार पर जांच के आदेश नहीं दिए जा सकते।
5) इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पलटा 17 ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का फैसला (24 जनवरी, 2017)
उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव से ठीक पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से 22 दिसंबर 2016 को जारी उस अधिसूचना पर रोक लगा दी जिसके तहत 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति की श्रेणी में शामिल कर उन्हें अनुसूचित जाति का दर्जा देने का आदेश दिया गया था। सरकार के इस निर्णय के खिलाफ डॉ भीमराव अम्बेडकर ग्रंथालय एवं जन कल्याण समिति ने याचिका दाखिल कर नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग की थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी बी भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अधिसूचना में शामिल सभी 17 जातियों को अनुसूचित जाति का सर्टिफिकेट जारी करने पर रोक लगा दी।
6) शशिकला पर फैसला (14 फरवरी, 2017 )
सुप्रीम कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति मामले में AIADMK महासचिव वी के शशिकला और उनके दो रिश्तेदारों को दोषी ठहराते हुए तीनों को 4 साल कैद की सजा सुनाई। इस केस में दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता मुख्य अभियुक्त थीं लेकिन दिसंबर 2016 में निधन हो जाने की वजह से कोर्ट ने उन पर फैसला नहीं सुनाया। हालांकि कोर्ट ने अपने फैसले में दिवंगत जयललिता पर सख्त टिप्पणियां कीं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जयललिता और शशिकला ‘साजिश में शामिल हुईं’ और जनसेवक होते हुए जयललिता ने आय के ज्ञात स्रोतों से ज्यादा संपत्ति हासिल की और इसे शशिकला और दो दूसरे लोगों में बांटा।
7) बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी समेत 13 नेताओं पर चलेगा मुकदमा: सुप्रीम कोर्ट का फैसला (19 अप्रैल, 2017 )
बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी समेत 13 नेताओं के खिलाफ मुकदमे को मंजूरी देकर सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुकदमा न चलाने के फैसले को पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि लखनऊ में ट्रायल कोर्ट को दो साल में सुनवाई पूरी कर फैसला सुनाना होगा। उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह वर्तमान में राजस्थान के राज्यपाल हैं, सो, उस छूट की वजह से उनके खिलाफ फिलहाल मुकदमा नहीं चलेगा। पद से हटने के बाद उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जाएगा। लखनऊ में होने वाली सुनवाई रोज़ाना होगी और स्थगन की अनुमति नहीं होगी।
8) अदालत का समय बर्बाद करने के लिए NGO पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया (1 मई, 2017)
भारत के नागरिकों के पास न्याय पाने का एक बहुत बड़ा अधिकार है जनहित याचिका यानी पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन(PIL)। लेकिन कुछ लोग इसे एक अलग हथियार की तर इस्तेमाल करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बेवजह की याचिकाएं दायर करने और कोर्ट का बहुमूल्य समय खराब करने पर राजस्थान के एक ट्रस्ट। सुराज इंडिया ट्रस्ट पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया इतना ही नहीं तत्कालीन चीफ जस्टिस जेएस खेहर, जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़ और जस्टिस एस के कौल की पीठ ने कहा, “इस चलन यानी अदालत का समय बर्बाद करने को हमेशा के लिए रोकने हेतु, यह निर्देश दिया जाता है कि सुराज इंडिया ट्रस्ट अब इस देश की किसी भी अदालत में जनहित में कोई याचिका दायर नहीं करेगा.” दरअसल इस ट्रस्ट ने पिछले 10 साल में जनहित के नाम पर देश की अलग-अलग अदालतों में 64 याचिकाएं दायर की थी।
9) निर्भया केस में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखी (5 मई, 2017)
पूरे देश को झकझोर देने वाले निर्भया गैंगरेप केस (16 दिसंबर 2012) में सुप्रीम कोर्ट ने दोषी अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और मुकेश की फांसी की सजा को बरकरार रखा। चारों दोषियों ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। कोर्ट ने माना कि दोषियों को पता है कि उन्होंने कितनी वहशियाना हरकत की थी। अदालत ने कहा कि इस वारदात की वजह से देश में ‘शॉक की सूनामी’ आ गई थी। दिल्ली में साकेत स्थित फास्ट ट्रैक कोर्ट ने इन चारों को गैंगरेप और हत्या के लिए दोषी करार देते हुए 13 सितंबर, 2013 को फांसी की सजा सुनाई थी और कोर्ट ने मामले को रेयरेस्ट ऑफ रेयर माना था। इसके बाद हाईकोर्ट ने भी इनकी फांसी की सजा को बरकरार रखी थी।
10) 950 करोड़ का चारा घोटाला: सुप्रीम कोर्ट से लालू यादव को झटका, चलेगा आपराधिक साजिश का केस (8 मई, 2017)
करीब 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाला मामले में आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और अन्य पर से आपराधिक साजिश और अन्य धाराएं हटाये जाने के खिलाफ CBI की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक साजिश का केस चलाने की इजाजत दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने 9 महीने में सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया । सुप्रीम कोर्ट ये भी कहा कि चारा घोटाले से जुडे अलग अलग मामले चलते रहेंगे. इस मामले में लालू यादव समेत 45 अन्य नेताओं पर केस चलेंगे। कोर्ट ने सीबीआई को भी मामले में देरी करने पर फटकार लगाई. साथ ही झारखंड हाईकोर्ट को भी कानून के तय नियमों का पालन नहीं करने पर लताड़ लगाई।
11) सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन को सुनाई छह माह जेल की सजा (9 मई, 2017)
सुप्रीम कोर्ट ने एक अभूतपूर्व आदेश देते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस सी एस कर्णन को कोर्ट की अवमानना करने के लिए तुरंत छह माह के लिए जेल भेजने के आदेश दिए। यह अपनी तरह का पहला मामला रहा जब अवमानना के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के किसी जज को जेल भेजा हो। जस्टिस कर्णन में प्रधानमंत्री को एक चिट्ठी लिख कर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के कुछ तत्कालीन और कुछ रिटायर्ड जजों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे और सीबीआई जांच की मांग की थी। छह महीने की सजा पूरी करने के बाद जस्टिस कर्णन 20 दिसंबर को रिहा हो गये।
12) मालेगांव ब्लास्ट में कर्नल पुरोहित को मिली जमानत (21 अगस्त, 2017 )
महाराष्ट्र के मालेगांव में 2008 में हुए धमाके के प्रमुख आरोपी कर्नल श्रीकांत पुरोहित को जमानत मिल गई। जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान कर्नल पुरोहित के वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट से कहा कि न्याय के हित में पुरोहित को जमानत मिलनी चाहिए. कर्नल पुरोहित का बम धमाके से कोई लिंक नहीं मिला है और अगर धमाके के आरोप हट जाते हैं तो अधिकतम सजा सात साल हो सकती है जबकि वह 9 साल से जेल में हैं। जस्टिस आरके अग्रवाल और जस्टिस एएम सप्रे की पीठ ने बंबई हाईकोर्ट के फैसले को दरकिनार कर यह फैसला सुनाया। 29 सितम्बर 2008 को महाराष्ट्र में नासिक जिले के मालेगांव में बम ब्लास्ट हुआ था। इसमें 7 लोगों की मौत हो गई थी, करीब 100 लोग जख्मी हुए थे।
13) तीन तलाक गैरकानूनी (22 अगस्त, 2017)
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने बहुमत के निर्णय से मुस्लिम समाज में एक बार में तीन बार तलाक देने की प्रथा को निरस्त कर दिया और इसे असंवैधानिक, गैरकानूनी और शून्य करार दिया। कोर्ट ने कहा कि तीन तलाक की यह प्रथा कुरान के मूल सिद्धांत के खिलाफ है। प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने 365 पेज के फैसले में कहा कि ‘3:2 के बहुमत से दर्ज की गई अलग-अलग राय के मद्देनजर‘तलाक-ए-बिद्दत यानी तीन तलाक को निरस्त किया जाता है। प्रधान न्यायाधीश जे एस खेहर और जस्टिस एस अब्दुल नजीर ने तीन तलाक की इस प्रथा पर छह महीने की रोक लगाने की हिमायत करते हुए सरकार से कहा कि वह इस संबंध में कानून बनाए जबकि न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन और न्यायमूर्ति उदय यू ललित ने इस प्रथा को संविधान का उल्लंघन करने वाला करार दिया।
14) निजता का अधिकार (24 अगस्त, 2017)
सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों वाली संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार बताया। संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश जे.एस. खेहर, जस्टिस जे. चेलमेश्वर, जस्टिस एस.ए. बोबडे, जस्टिस आर.के. अग्रवाल, जस्टिस आर.एफ़. नरीमन, जस्टिस ए.एम. सप्रे, जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर शामिल थे। संविधान पीठ ने कहा कि निजता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिए गए जीने के अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हिस्सा है। संविधान पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के उन दो पुराने फ़ैसलों को ख़ारिज कर दिया जिनमें निजता को मौलिक अधिकार नहीं माना गया था।
15) दीपक मिश्रा बने नए प्रधान न्यायाधीश (28 अगस्त, 2017)
जस्टिस दीपक मिश्रा ने 28 अगस्त 2017 को देश के 45वें प्रधान न्यायाधीश के तौर पर शपथ ग्रहण की, एक गरिमामय समारेह में देश के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने उन्हें शपथ दिलाई। जस्टिस दीपक मिश्रा तीन अक्टूबर 2018 को रिटायर होंगे। जस्टिस दीपक मिश्रा ने कई ऐतिहासिक फैसले दिए हैं। आजाद भारत में सुप्रीम कोर्ट ने जब पहली बार आधी रात को सुनवाई की तो जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई में ही बेंच ने मुंबई ब्लास्ट के दोषी याकूब मेनन की अर्जी को खारिज किया था। सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने और उस दौरान खड़े होने को अनिवार्य करने का फैसला भी जस्टिस दीपक मिश्रा का ही था। इसी साल 5 मई को बहुचर्चित निर्भया गैंग रेप केस में तीनों दोषियों की फांसी की सजा को जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने ही बरकरार रखा था।
16) क्षतिग्रस्त धार्मिक स्थलों के नुकसान की भरपाई (29 अगस्त, 2017)
गुजरात में 2002 में हुए दंगों के दौरान धार्मिक स्थलों को हुए नुकसान की भरपाई मामले में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस पीसी पंत की पीठ ने गुजरात सरकार की अपील पर हाईकोर्ट के उस फैसले को निरस्त कर दिया जिसमें कहा गया था कि दंगों के दौरान क्षतिग्रस्त हुए धार्मिक ढांचों के फिर से निर्माण और मरम्मत के लिए गुजरात सरकार को पैसों का भुगतान करना चाहिए….सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि किसी धार्मिक स्थल के निर्माण या मरम्मत के लिए सरकार करदाताओं के पैसे को नहीं खर्च कर सकती है। अगर सरकार मुआवजा देना भी चाहती है तो मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च आदि को भवन मानकर उसकी क्षतिपूर्ति कर सकती है।
17) राम रहीम को सजा का एलान (29 अगस्त, 2017)
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को अगस्त में रेप के आरोप में सजा सुनाई गई। CBI की विशेष अदालत ने रेप के दो मामलों में 10-10 साल की सजा सुनाई…इसके अलावा कोर्ट ने डेरा प्रमुख पर 30 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया… इसमें से दोनों पीड़िताओं को 14-14 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया…दोनों मामलों में सुनाई गई सज़ाएं एक के बाद एक लगातार कुल 20 साल तक चलेंगी। सजा सुनाए जाने से पहले गुरमीत राम रहीम ने जज के आगे हाथ जोड़े और माफी की मांग और अच्छे कामों का हवाला देकर नरमी की मांग भी की थी लेकिन कोर्ट ने कहा- गुरमीत राम रहीम ने अपने कद का गलत इस्तेमाल किया।
18) पटाखे छुड़ाने पर लगी रोक (9 अक्टूबर, 2017)
दिल्ली एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर में दिवाली से ठीक पहले पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सांस लेने का अधिकार सबको है। दीवाली के मौके पर होने वाली आतिशबाजी की वजह से राजधानी और एनसीआर के अन्य शहरों में प्रदूषण का स्तर कई गुना बढ़ जाता है। कोर्ट ने सारे स्थायी और अस्थायी लाइसेंस तत्काल प्रभाव निलंबित कर दिये। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये बैन 1 नवंबर 2017 तक बरकरार रहेगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसला का असर यह हुआ कि इस बार दिल्ली-एनसीआर में दिवाली के दौरान होने वाले प्रदूषण में पिछले वर्षों की तुलना में काफी कमी हुई।
19) नाबालिग पत्नी से संबंध बनाना बलात्कार के समान (11 अक्टूबर, 2017)
सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में एक और बड़ा फैसला दिया। कोर्ट ने 18 साल से कम उम्र की पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाने को बलात्कार की श्रेणी में रखने की बात कही, इसके साथ शर्त यह है कि नाबालिग पत्नी को एक साल के भीतर इसकी शिकायत करनी होगी। इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की तमाम दलीलों को ठुकराया। कोर्ट ने कहा कि संसद ने ही कानून बनाया कि 18 साल से कम उम्र की बच्ची न तो कानूनन शादी कर सकती है न ही सेक्स के लिए सहमति दे सकती है….संसद ने ही कानून के जरिये बाल विवाह को अपराध बनाया तो ऐसे में अगर किसी बच्ची का बाल विवाह हो जाए और पति जबरन सेक्स करे तो वो अपराध क्यों नहीं? ये बिलकुल बेतुका और असंवैधानिक है। कोर्ट ने कहा, संविधान के अनुछेद 14 के तहत बराबरी के हक और अनुछेद 21 के तहत जीने के अधिकार का भी ये हनन करता है। यह पॉक्सो कानून के भी खिलाफ है…कोर्ट ने फैसला दिया कि आईपीसी की धारा 375 का वो प्रावधान असंवैधानिक है जिसके तहत पति को छूट है कि अगर वो 15-18 साल की पत्नी के तहत शारीरिक संबंध बनाएगा तो वो बलात्कार नहीं होगा।
20) आरुषि-हेमराज हत्याकांड में तलवार दंपती बरी (12 अक्टूबर, 2017 )
देश के चर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आरुषि के माता-पिता नूपुर तलवार और राजेश तलवार को सभी आरोपों से बरी कर दिया। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दोनों को संदेह का लाभ मिलना चाहिए क्योंकि निचली अदालत का फैसला ठोस सबूतों पर नहीं बल्कि हालात से उपजे सबूतों के आधार पर था…दांतों के डॉक्टर राजेश तलवार की 14 साल की बेटी आरुषि तलवार और नौकर हेमराज की हत्या 2008 में 15-16 मई की दरम्यानी रात नोएडा में उनके घर पर हुई थी। हालांकि इस फैसले के खिलाफ हेमराज की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
21) पेट कोक-फर्नेस ऑयल पर रोक (25 अक्टूबर, 2017)
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की फैक्टरियों में पेटकोक और फर्नेस ऑयल के इस्तेमाल पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर दीर्घकालीन योजना ना बनाने पर इन राज्यों को फटकार लगा चुका है। मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है हालांकि जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने सीमेंट फैक्ट्रियों और लाइम फैक्ट्रियों में सरकार के कडे नियमों के तहत पेट कोक के इस्तेमाल की इजाजत दे दी है। कोर्ट ने थर्मल पावर प्लांट में फरनेस आयल के इस्तेमाल की एक साल यानी 31 दिसंबर 2018 तक इस्तेमाल की इजाज़त भी दी है। वहीं केंद्र सरकार ने थर्मल पावर प्लांट के लिए नियम लागू करने के लिए पांच साल यानी 2022 तक का वक्त मांगा है जिस पर कोर्ट अगली सुनवाई पर विचार करेगा।
22) दुर्घटना दावे के निर्धारण के मानदंड तय (1 नवम्बर, 2017)
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि सड़क दुर्घटना में मारे गये व्यक्ति के आश्रितों को मुआवज़ा देते समय मृतक की ‘भावी संभावनाओं’ पर विचार किया जायेगा। पीठ ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत पीड़ित परिवारों को दी जाने वाली मुआवजे की राशि तय करने से पहले यह ध्यान रखना जरूरी है कि वह समानता के सिद्धांत पर आधारित हो। पीठ ने कहा कि अगर दुर्घटना में मारे गए व्यक्ति की उम्र 40 साल से कम हो तो मृतक के वेतन का 50 प्रतिशत भविष्य की कमाई की संभावनाओं के तौर पर मिलना चाहिए। वहीं 40 से 50 वर्ष के बीच के मृतकों के लिए यह 30 फीसदी जबकि 50 से 60 वर्ष के बीच की आयु के मृतक के लिए यह 15 फीसदी होना चाहिए। अगर मृतक का खुद का कारोबार हो या जिसकी निर्धारित कमाई हो जिसमें टैक्स नहीं जुड़ेगा और उसकी उम्र 40 वर्ष से कम हो तो उस वक्त जो वह कमा रहा था कि उसका 40 प्रतीशत अतिरिक्त मुआवजा मिलेगा। वहीं 40 से 50 वर्ष के बीच वाले लोगों के लिए ये 25 फीसदी और 50 से 60 वर्ष के बीच वाले मृतकों के लिए ये 10 प्रतीशत होगा… साथ ही पीठ ने मृतक के अंतिम संस्कार के लिए 15 हजार रुपये देने के लिए कहा है और हर तीन साल बाद इसमें 10 फीसदी की बढ़ोतरी होगी।
23) राजस्थान में गुर्जर आरक्षण पर रोक (15 नवंबर, 2017)
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान ओबीसी आरक्षण विधेयक मामले में अहम फैसला सुनाया और राजस्थान सरकार की याचिका का निपटारा करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा कि राज्य सरकार आरक्षण के 50 फीसदी कोटे की तय सीमा को पार नहीं करेगी। हाई कोर्ट अब इस पूरे मामले की योग्यता के आधार पर सुनवाई करेगा। दरअसल, गुर्जरों के आरक्षण आंदोलन के बाद राजस्थान सरकार ने ओबीसी आरक्षण विधेयक 2017 लाया इस विधेयक के तहत गुर्जर, बंजारा, गडिया- लोहार, राइका और गडरिया समुदाय को 5 फीसदी आरक्षण दिया गया। इसके तहत राजस्थान में आरक्षण का कोटा 54 फीसदी हो गया जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय 50 फीसदी से ज्यादा है।
24) केरल लव जिहाद केस (27 नवंबर, 2017)
केरल के कथित लव जिहाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला देते हुए कहा है कि हदिया को उसके माता-पिता अपने कब्जे में न रखें। हदिया ने सुप्रीम कोर्ट में साफ तौर पर कहा, मुझे अपनी आजादी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने हदिया को होम्योपैथी की आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए तमिलनाडु के सेलम भेज दिया। सुप्रीम कोर्ट में करीब पौने दो घंटे की सुनवाई के बाद जज ने करीब 25 मिनट तक हदिया से बातचीत की। अब जनवरी के तीसरे हफ्ते में इस मामले की आगे की सुनवाई होगी। इस मामले केरल हाई कोर्ट ने शादी को खारिज कर दिया था औऱ हदिया को उसके पिता को सौंप दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एनआईए भी मामले की जांच कर रही है।
25) जज घूस मामला (1 दिसंबर, 2017)
जजों के नाम पर घूस लेने से जुड़े मामले की विशेष जांच दल यानी एसआइटी से छानबीन की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने खारिज कर दिया। जस्टिस आरके अग्रवाल, जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एएम खानिवलकर की पीठ ने याचिका दायर करने वाली संस्था कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स यानी सीजेएआर पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इस मामले पर विवाद गहराने के बाद मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने मामले की सुनवाई के लिए नई पीठ बनाने की व्यवस्था दी थी। इस पीठ ने 10 नवंबर को स्पष्ट कर दिया था कि कोई भी जज अपने मन से मामले की सुनवाई नहीं कर सकते हैं, क्योंकि चीफ जस्टिस ही सुप्रीम कोर्ट के मास्टर ऑफ रोस्टर होने के नाते पीठ का गठन सकते हैं।
26) दिल्ली सरकार बनाम उप राज्यपाल मामले मे फैसला सुरक्षित (6 दिसंबर, 2017)
दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के अधिकारों के विवाद के मामले में प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील पी चिदंबरम समेत अन्य वकीलों ने कहा कि उपराज्यपाल संविधान और लोकतंत्र का मजाक बना रहे हैं। कानून के मुताबिक उप राज्यपाल के पास कोई शक्ति नहीं है। सारे अधिकार या तो मंत्रिमंडल के पास हैं या फिर राष्ट्रपति के पास लेकिन उपराज्यपाल फाइलों को राष्ट्रपति के पास ना भेजकर खुद ही फैसले ले रहे हैं। उधर केंद्र सरकार की ओर से दलील दी गयी कि दिल्ली देश की राजधानी है और यहां केंद्र सरकार भी है इसलिए दिल्ली पर केंद्र का पूरा अधिकार है। केंद्र ने अपनी दलील में यह भी कहा था कि दिल्ली में जितनी भी सेवाएं हैं वह केंद्र के अधीन हैं और केंद्र के पास उसके ट्रांसफर, पोस्टिंग का अधिकार है।
27) यमुना को हुए नुकसान के लिए आर्ट ऑफ लिविंग जिम्मेदार (7 दिसम्बर, 2017)
मार्च 2016 में वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल आयोजित करने के कारण यमुना डूब क्षेत्र को हुए नुकसान के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण यानी NGT ने श्री श्री रविशंकर के संगठन आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन यानी एओएल को जिम्मेदार ठहराया। हालांकि NGT ने आर्ट ऑफ लिविंग पर कोई अतिरिक्त जुर्माना नहीं लगाया। NGT ने कहा कि जो 5 करोड़ रुपये ऑर्ट ऑफ लिविंग पर पहले ही जुर्माने के तौर पर लगाए गए हैं, उसे यमुना की बॉयोडायवर्सिटी को ठीक करने में खर्च किया जाए और अगर इसमें और पैसा लगता है तो वो आर्ट ऑफ लिविंग से वसूला जाए लेकिन अगर कम खर्च होता है तो बचे हुए पैसे आर्ट ऑफ लिविंग को लौटा दिए जाएंगे। आर्ट ऑफ लिविंग ने कहा है कि वह NGT के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
28) 2 जी मामले में सभी आरोपी बरी (21 दिसंबर, 2017)
टू जी घोटाले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट स्थित विशेष सीबीआई कोर्ट ने पूर्व दूर संचार मंत्री ए राजा औऱ डीएमके सांसद कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों के समर्थन में पुख्ता सबूत नहीं पेश कर सका और आरोप सिद्ध करने में नाकाम रहा। कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड और ऐसा कोई सबूत नही है जो आरोपियों के अपराध को किसी भी तरह से साबित करता हो। कोर्ट ने कहा कि इस केस की चार्जशीट ऑफिशियल रिकॉर्ड की मिसरीडिंग , चुनींदा रीडिंग और संदर्भ से पर हट कर की गई रीडिंग पर आधारित है। विशेष जज ने कहा कि पूरी बहस का नतीजा यह है कि मुझे यह कहने में ये बिल्कुल भी संकोच नही है कि आरोपियों के खिलाफ “कोरियोग्राफ्ड चार्जर्शीट” में रखे गए आरोपों को साबित करने में अभियोजन पक्ष पूरी तरह से नाकाम रहा।
29) लालू यादव दोषी करार (23 दिसंबर, 2017)
आरजेडी के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को फिर जेल जाना पड़ा है। बिहार के चारा घोटाला मामले से जुड़े एक और मामले में लालू प्रसाद यादव को दोषी ठहराया गया है। यह फैसला रांची की विशेष सीबीआई कोर्ट ने सुनाया। यह मामला देवघर ट्रेजरी से 97 लाख रुपए की अवैध निकासी से जुड़ा है। इसमें लालू प्रसाद यादव समेत 15 आरोपियों को दोषी करार दिया गया जबकि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र समेत 7 आरोपियों को बरी कर दिया गया। अदालत 3 जनवरी को लालू यादव को सजा सुनाएगी। कोर्ट में दोषी करार दिए जाने के तुरंत बाद लालू को रांची के बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल ले जाया गया।
कुछ अहम विदेशी फैसले
30) कुलभूषण जाधव केस (10 मई, 2017)
पाकिस्तानी अदालत की ओर से मौत की सजा पाए भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की फांसी रोकने के लिए भारत ने अंतरराष्ट्रीय अदालत में अपील की। फांसी की सजा के विरोध में 15 न्यायाधीशों की बेंच ने सुनवाई की जिनमें एक जज चीन का भी था। पाकिस्तानी वकील को 90 मिनट का समय फांसी के पक्ष में दलील देने के लिए दिया गया था | वह अपने साथ एक वीडियो भी लाये थे लेकिन जजों ने इसे देखने से इंकार कर दिया। अंतरराष्ट्रीय अदालत में वरिष्ठ एडवोकेट हरीश साल्वे ने भारत की ओर से दलीलें रखीं। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पत्र लिखकर कुलभूषण की मौत की सजा पर तुरंत रोक लगाने को कहा। अंतरराष्ट्रीय अदालत ने पैरा-4 के अनुच्छेद 74 के तहत कुलभूषण की फांसी की सजा पर रोक लगा दी।
31) नवाज़ शरीफ दोषी करार (28 जुलाई, 2017)
पनामागेट मामले में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को दोषी करार दिया। इसके साथ ही उन्हें जीवन भर के लिए प्रधानमंत्री पद के अयोग्य भी घोषित कर दिया गया। देश की सर्वोच्च अदालत के इस फैसले के बाद नवाज शरीफ ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। पाक की शीर्ष अदालत ने शरीफ और उनके परिवार के खिलाफ मामले दर्ज करने के भी आदेश दिए। सुप्रीम कोर्ट की पांच-सदस्यों की खंडपीठ ने सर्वसम्मति से नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य करार दिया। साथ ही, उन्हें पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज का अध्यक्ष पद छोड़ने को भी कहा गया। कोर्ट ने कहा कि नवाज पार्टी अध्यक्ष होने के योग्य नहीं हैं।
32) ट्रंप के ट्रैवेल बैन पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर (4 दिसंबर, 2017)
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके प्रशासन की ओर से आठ देशों के नागरिकों के अमेरिका आने पर प्रतिबंध लगाए जाने के फैसले को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी। कोर्ट ने कहा कि ट्रंप प्रशासन का यह फैसला पूरी तरह से लागू किया जा सकता है। इन आठ देशों में छह मुस्लिम देश हैं। इस प्रतिबंध के चलते ईरान, यमन, चाड, सोमालिया, लीबिया, सीरिया, उत्तर कोरिया और वेनेजुएला के लोग अमेरिका नहीं आ सकेंगे। इस मामले पर अभी कुछ छोटी अदालतों में फैसला आना बाकी है। इससे पहले इन अदालतों ने कहा था कि अमेरिका में रह रहे इन देशों के किसी शख्स के दादा-दादी, नाना-नानी और चचेरे भाई-बहन जैसे रिश्तेदारों के उसके पास आने पर रोक नहीं लगाई जा सकती. सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीद जताई है कि यह अदालतें उचित समय में अपना फैसला सुना देंगी ताकि वह अगले साल जून के आखिर तक इस मुद्दे पर सुनवाई और फैसला कर सके।