Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने त्रिपुरा हिंसा मामले की जांच SIT से कराए जाने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता और वकील एहतेशाम हाशमी से कहा कि मामला हाइकोर्ट में लंबित है, ऐसे में आप अपनी बात वहां पर रखें।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फिलहाल आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं करने को कहा है।
दरअसल वकील एहतेशाम समेत कई लोगों पर हिंसा को लेकर अफवाह फैलाने के लिए त्रिपुरा में केस दर्ज है।
एहतेशाम हाशमी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अक्टूबर में त्रिपुरा में हुए साम्प्रदायिक हिंसा के मामले की SIT द्वारा स्वतंत्र, विश्वसनीय और निष्पक्ष जांच की मांग की थी। याचिका में कहा गया है कि घटना की जांच के नाम पर इस हिंसा के मामले पर पत्रकारों और सामाजिक पत्रकारों के खिलाफ UAPA के तहत मामला दर्ज किया गया है।

Supreme Court: कोर्ट पहले भी दिखा चुका है सख्ती
त्रिपुरा में कथित सांप्रदायिक हिंसा के मामले पर सुप्रीम कोर्ट पहले भी सख्ती दिखा चुका है। पुलिस की ओर से सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वाले लोगों को नोटिस भेजने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने त्रिपुरा पुलिस को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर अंतरिम रोक का आदेश भीजारी किया था। न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और सूर्यकांत की पीठ ने राज्य सरकार के अधिवक्ता को आगाह किया था, कि अगर पुलिस ने लोगों को परेशान करना बंद नहीं किया, तो गृह सचिव और संबंधित पुलिस अधिकारियों को समन जारी किया जाएगा।
हलफनामे में कही बातें अनुचित
पिछली सुनवाई में त्रिपुरा सरकार के हलफनामे पर याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने सवाल उठाया था। सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि राज्य सरकार के हलफनामे में कही बातें अनुचित हैं राज्य सरकार पूछ रही है कि याचिकाकर्ता ने पश्चिम बंगाल में हिंसा पर सवाल क्यों नहीं उठाया? इससे पहले त्रिपुरा सरकार ने इस मामले में हलफनामा दाखिल किया था। इसमें याचिका को भारी जुर्माने के साथ खारिज करने की मांग की गई थी त्रिपुरा सरकार ने बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा पर याचिकाकर्ता की चुप्पी पर सवाल उठाया था।
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