Supreme Court ने बुधवार को त्रिपुरा सांप्रदायिक हिंसा की खबरों पर त्रिपुरा पुलिस द्वारा दर्ज की गई FIR को चुनौती देने वाली याचिका पर संबंधित पक्ष को नोटिस जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका डिजिटल न्यूज पोर्टल एचडब्ल्यू न्यूज के दो पत्रकार समृद्धि सकुनिया और स्वर्णा झा और इसकी एसोसिएट एडिटर आरती घरगी ने दायर की है।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने 14 नवंबर और 18 नवंबर को दर्ज की गई FIR के अनुसार किसी भी प्रकार की कार्यवाही पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी।
पत्रकारों की रिपोर्ट दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने वाली है
वहीं त्रिपुरा पुलिस का कहना है कि पत्रकारों की रिपोर्ट दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने वाला है साथ ही हिंसा के बारे में निराधार खबर प्रकाशित करके सांप्रदायिक नफरत फैलाने की कोशिश की गई।
इसके विपरीत याचिकाकर्ता का कहना है कि हिंसा पीड़ितों के बयानों और उनके द्वारा दिए गए तथ्यों के आधार पर ही हम खबरें कर रहे थे।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि यदि सत्य की खोज को आपराधिक और उसकी रिपोर्टिंग को ही अपराध बना दिया जाएगा तो यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और बोलने की आजादी पर रोक लगाना होगा।
त्रिपुरा हिंसा मामले को दिल्ली में ट्रांसफर करने की मांग
याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में उनके खिलाफ दर्ज मामलो को रद्द करने की मांग की है। इसके साथ ही मामले को दिल्ली में ट्रांसफर करने की मांग करते हुए वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा याचिकाकर्ताओं को वहां जान का खतरा है। इसलिए मामले को त्रिपुरा से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया जाए।
सुनवाई के बाद कोर्ट ने संबंधित पक्ष को हलफनामा पेश करने को कहा है और इसके लिए कोर्ट ने चार हफ्ते का समय दिया है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “हम इस मामले में नोटिस जारी करेंगे, त्रिपुरा में 14 नवंबर को दर्ज FIR के अनुसार आगे की सभी कार्यवाही पर रोक रहेगी।”
इसे भी पढ़ें: Rakesh Asthana की नियुक्ति के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब, CPIL की तरफ से दायर की गयी है याचिका