Supreme Court: यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों की वतन वापसी (Evacuation) के मसले पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। CJI ने इस मामले पर जनहित याचिका दाखिल करने वाले वकील विशाल तिवारी को फटकार लगाते हुए कहा, कि आपकी याचिका में कोई फैक्ट नहीं है। एक पेपर की कटिंग के आधार पर जनहित याचिका दायर नहीं की जा सकती।
शीर्ष अदालत ने पूछा कि क्या ये याचिका दाखिल करने का तरीका है ? इस तरह की याचिका पर जुर्माना भी लगा सकते हैं। CJI ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा, कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमने इतिहास से कोई सबक नहीं सीखा है। मानव जाति युद्ध के नाम पर लोगों को मार रही है। इस मामले की अगली सुनवाई 11 मार्च को होगी। कोर्ट ने सुझाव देते हुए कहा, कि छात्रों के माता-पिता की परेशानी को देखते हुए केन्द्र सरकार सेंन्ट्रलाइज हेल्पलाइन पोर्टल बनाए और जानकारी साझा करे। जिससे लोगों को पूरी जानकारी मिलने में आसानी हो।
Supreme Court: बातचीत से विवाद सुलझाएं
CJI ने कहा कि मैं समझता हूं कि बातचीत से विवाद को सुलझाया जा सकता है। उन्होंने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि दुर्भाग्य से इन मुद्दों में हमारी कोई भूमिका नहीं है। इसी मामले पर शुक्रवार को AG ने कोर्ट को बताया कि याचिका दाखिल करने वाली छात्रा फातिमा अहाना रोमानिया पहुंच चुकी है। आज उसे वापस भारत लाया जा सकता है। वहीं याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सरकार ने तेजी से कदम उठाया है। अभी भी पड़ोसी देशों से करीब 100 किलोमीटर दूर छात्र फंसे हुए हैं। उन्हें भी सकुशल वापस लाने की व्यवस्था की जा रही है।
एटॉर्नी जनरल ने दी जानकारी
भारत सरकार के एटॉर्नी जनरल (AG) केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि इस मसले पर प्रधानमंत्री लगातार बैठक भी कर रहे हैं। कई मंत्रियों को पड़ोसी देशो में छात्रों की वापसी के लिए भेजा गया है। अभी तक 17 हजार छात्रों को हम वापस ला चुके हैं। CJI ने कहा कि हम परिस्थितियों को लेकर चिंतित हैं। हम सरकार के द्वारा उठाए गए कदमों पर सवाल नहीं उठा रहे, बल्कि सराहना करते हैं। फिर भी हम याचिका को लंबित रख रहे हैं। 11 मार्च को फिर इस मामले पर सुनवाई करेंगे।
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