ताजमहल का वास्‍तविक इतिहास जानने की याचिका Supreme Court में खारिज, याचिकाकर्ता को कहा- पुरातत्‍व विभाग से करे बात

Supreme Court: कोर्ट के पुरातत्व विभाग के पास जाने की बात पर वकील वरुण सिन्हा ने कहा कि हमने पुरातत्व विभाग को भी अप्रोच किया।ताजमहल के इतिहास को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है।उन्होंने बताया कि कभी यह राजा मान सिंह का महल होता था। इसकी हकीकत सामने आनी चाहिए।

0
127
Supreme Court on Taj Mahal
Supreme Court

Supreme Court:ताजमहल के वास्तविक इतिहास का पता लगाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इंकार कर दिया।शीर्ष अदालत ने इस याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि ये एक पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन है।हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज करके कोई गलती नहीं की।जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने याचिका को खारिज किया।कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप पुरातत्व विभाग से बात कीजिये।आप यहां क्यों आए हैं? कोर्ट ने कहा कि आप सरकार के समक्ष जाकर रिप्रेंजेनटेशन दें।

कोर्ट के पुरातत्व विभाग के पास जाने की बात पर वकील वरुण सिन्हा ने कहा कि हमने पुरातत्व विभाग को भी अप्रोच किया।ताजमहल के इतिहास को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है।उन्होंने बताया कि कभी यह राजा मान सिंह का महल होता था।

इसकी हकीकत सामने आनी चाहिए।इस पर जस्टिस शाह ने कहा कि आप तय करेंगे कि तथ्य गलत हैं।दरअसल ताजमहल के वास्तविक इतिहास का पता लगाने की मांग करते हुए सुरजीत यादव ने सुप्रीम कोर्ट में याचीका दाखिल की थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया।

Supreme Court on Taj Mahal
Supreme Court

Supreme Court: जानिए क्‍या था याचिका में ?

Supreme Court: गौरतलब है कि सुरजीत सिंह यादव ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के जरिए ताजमहल की सही उम्र का निर्धारण करने और मुगल युग के स्मारक के निर्माण के पीछे सही ऐतिहासिक तथ्यों को सामने लाने की मांग की थी। याचिका में इस बात का भी जिक्र था कि स्मारक से पहले वहां क्या मौजूद था, इसके बारे में पता लगाने के आदेश जारी किए जाएं।
याचिका में कहा गया था कि ताजमहल का निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल के मकबरे के तौर पर 1631 से 1653 के बीच 22 वर्षों में कराया गया था, लेकिन ये उस दौर के इतिहास में बयान की गई बातें भर हैं। इस बात को साबित करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण अब तक सामने नहीं आया है।

हाईकोर्ट ने कहा कि सिस्‍टम का मजाक न बनाएं

Supreme Court: मालूम हो कि ताजमहल विवाद को लेकर हाईकोर्ट ने भी सख्त रुख अपनाते हुए याचिका को खारिज कर दिया था। सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच ने याचिकाकर्ता को जमकर फटकार लगाई थी। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि याचिका साफ न्‍यायिक मुददे पर आधारित नहीं है। पूरी तरह से तर्कहीन है।हाईकोर्ट ने कहा कि सिस्‍टम का मजाक न बनाएं।

संबंधित खबरें

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here