Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में जबरन मतांतरण के खिलाफ मामले की सुनवाई हुई।शीर्ष अदालत में केंद्र ने जवाब दिया कि जबरन मतांतरण के खिलाफ कानून बनाने के लिए जल्द ही कदम उठाए जाएंगे।इस मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने जवाब दाखिल किया है।
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार में निश्चित रूप से किसी व्यक्ति को धोखाधड़ी, धोखे, जबरदस्ती, प्रलोभन या ऐसे अन्य माध्यमों से परिवर्तित करने का अधिकार शामिल नहीं है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने जबरन मतांतरण से जुड़ी याचिकाओं पर जवाब दाखिल करते हुए ये जवाब दिया है। केंद्र ने कहा है कि सरकार मुद्दे की गंभीरता को भलीभांति जानती है। धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार में दूसरे लोगों को मतांतरित करने का अधिकार शामिल नहीं है।

Supreme Court: कई राज्यों में बना धर्मांतरण पर कानून
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि महिलाओं, आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों सहित समाज के कमजोर वर्गों के पोषित अधिकारों की रक्षा के लिए इस तरह के अधिनियम बेहद आवश्यक हैं।केंद्र का कहना है कि इस पर अंकुश लगाने के लिए 9 राज्यों ने वर्षों से अधिनियम पारित किए हैं।
केंद्र का कहना है कि ओडिशा, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और हरियाणा ऐसे राज्य हैं। जहां पहले से ही धर्मांतरण पर कानून है।सुप्रीम कोर्ट ने भारत के अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि इस अदालत द्वारा निर्धारित सभी तरह के कानून का पालन किया जाए।
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